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भगोरिया पर्व चार मार्च से

बिखरेगा अपने उल्लास का रंग

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हमें फॉलो करें भगोरिया पर्व
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जिस भगोरिया पर्व का आदिवासी बेसब्री से इंतजार करते हैं, उसके नजदीक आने की आहट अभी धीमी किंतु स्पष्ट सुनाई दे रही है। भगोरिया पर्व चार मार्च से इस साल आरंभ हो रहा है। इस सांस्कृतिक पर्व के दौरान धार-झाबुआ एवं आलीराजपुर क्षेत्र में उल्लास का रंग जमकर बिखरेगा।

भगोरिया चार से दस मार्च तक चलेगा। इस अवधि में क्षेत्र के लगभग 50 से अधिक स्थानों पर धूम मची रहेगी। इस उत्सव में स्थानीय ही नहीं, बल्कि बाहर के भी अनेक संस्कृति प्रेमी बड़ी संख्या में सम्मिलित होंगे। झाबुआ क्षेत्र का प्रसिद्ध भगोरिया आदिवासियों की पारंपरिक संस्कृति का आईना है। होली के सात दिन पहले आने वाले सभी हाट भगोरिया हाट कहलाते हैं।

भगोरिया हाट :- इस संबंध में मान्यता है कि क्षेत्र का भगोर नाम का गाँव माताजी के शाप के कारण उजड़ गया था। इस पर वहाँ के राजा ने उक्त ग्राम के नाम पर वार्षिक मेले का आयोजन वर्ष में एक बार करना प्रारंभ कर दिया। चूँकि यह वार्षिक मेला भगोर से शुरू हुआ, इसलिए इसका नाम भगोरिया रख दिया गया।

इस दौरान आदिवासी समाज की तीनों प्रमुख उपजातियाँ- भील, भिलाला एवं पटलिया के लोग अपनी परंपरा के अनुसार उत्साह से नाचते-गाते हुए भगोरिया हाट में आते हैं। ये हाट विभिन्न स्थानों पर प्रतिदिन आयोजित किए जाते हैं।

जन्मभूमि आते हैं पलायन कर चुके आदिवासी :- आदिवासी अपनी जन्मभूमि एवं गाँव से कितनी ही दूर क्यों न हो, लेकिन उसे भगोरिया पर्व तथा उसके प्रियजन की याद उस दौरान बहुत सताती है। पलायन कर चुके आदिवासी भी बड़ी संख्या में इस पर्व का आनंद लेने के लिए अब अपने घर लौट आते हैं और भगोरिया के पश्चात पुनः अपने मजदूरी स्थलों पर चले जाते हैं।

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