आज माघी (तिल चौथ) चतुर्थी है। जहाँ गणेश मंदिरों में भक्तों का ताँता लगेगा, वहीं मंदिरों मे विशेष आयोजन भी होंगे। श्रद्घालु लंबोदर के समक्ष शीश नवाएँगे और आशीष पाकर अपने संकटों को दूर करेंगे।
भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देवता माना गया है। कहा जाता है कि जो श्रद्घालु चतुर्थी का व्रत कर गणेशजी की पूजा-अर्चना करता है, उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। फिर माघी या तिल चौथ का तो विशेष महत्व है।
जो श्रद्घालु नियमित रूप से चतुर्थी का व्रत नहीं कर सकते यदि माघी चतुर्थी का व्रत कर लें, तो ही साल भर की चतुर्थी व्रत का फल प्राप्त हो जाता है। माघी चौथ के अवसर पर गणेश मंदिरों में मनमोहक श्रृंगार होंगे तथा प्रसाद वितरण किया जाएगा। चतुर्थी का व्रत रख श्रद्घालु चंद्रदर्शन के बाद भोजन करेंगे। माघी चतुर्थी पर गणेश मंदिरों में तिल उत्सव मनेगा।
ND
पं. व्यास के अनुसार व्रतधारी श्रद्घालुओं को चंद्रदर्शन और गणेश पूजा के बाद व्रत समाप्त करना चाहिए। इसके अलावा पूजा के समय भगवान गणेश के इन बारह नामों का जाप करने से फल अवश्य मिलता है।
चिंतामण गणेश के बारह नाम 1- वक्रतुंड 2- एकदंत 3- कृष्णपिंगाक्ष 4- गजवक्त्र 5- लंबोदर 6- विकट 7- विघ्नराज 8- धूम्रवर्ण 9- भालचंद्र 10-विनायक 11- गणपति 12- गजानंद।
व्रतधारी ये भी करें :-
माघी चतुर्थी का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत करने वाले श्रद्घालुओं की समस्त मनोकामना अवश्य पूरी होती है।
- सुबह गणेश पूजा करें।
- पूजा के साथ यदि अथर्वशीर्ष का पाठ किया जाए तो अति उत्तम।
- गणेश द्वादश नामावली का पाठ करें।
- दिन में अथवा गोधूली वेला में गणेश दर्शन अवश्य करें।
- शाम को सहस्र मोदक या स्वेच्छानुसार लड्डुओं का भोग अर्पित करें।