मालवा-निमाड़ अंचल में सोमवार, 22 फरवरी से आदिवासी समाज के सांस्कृतिक पर्व भगोरिया के मोहक स्वर गूँजने लग गए हैं। इस लोकोत्सव में आदिवासी महिला-पुरुष तो ढोल-मांदल की थाप पर मस्ती में खूब गाते-नाचते और थिरकते ही हैं, लेकिन यह उत्सव गैर आदिवासी दर्शकों को भी मस्तीभरे माहौल में खूब आनंदित और आल्हादित करता है। एक सप्ताह तक भगोरिया की धूम रहेगी।
धार, झाबुआ, आलीराजपुर, खरगोन, बड़वानी जिले में भगोरिया आदिवासी संस्कृति तथा आदिवासी जनजीवन से जुड़ा सबसे बड़ा लोकपर्व है। इन जिलों में अलग-अलग तारीखों में लगने वाले भगोरिया हाटों के लिए व्यापारियों एवं दुकानदारों के साथ प्रशासन द्वारा भी विशेष तैयारियाँ की गई हैं।
भगोरिया हाटों में सभी आदिवासी चटक रंगों के वस्त्रों में सज-सँवर कर उमंग और उत्साह के साथ जाएँगे तथा खूब नाचेंगे व गाएँगे। कुँआरे युवक-युवतियाँ इन मेलों में अपने लिए योग्य जीवनसाथी भी तलाश करते हैं। आलीराजपुर जिला गुजरात की सीमा पर है। इसलिए यहाँ दो राज्यों की आदिवासी संस्कृति के रंग नजर आते हैं।
ND
झाबुआ जिला: 22 फरवरी: पेटलावद, रंभापुर, मोहनकोट, कुंदनपुर, रजला, बडगुड़ा एवं मेड़वा। 23: बखतगढ़, अंधारवड़, पिटोल, खरड़ू, थांदला, तारखेड़ी एवं बरवेट। 24: बरझर, उमरकोट, माछलिया, करवड़, बोरायता, कल्याणपुरा, मदरानी एवं ढेकल। 25: पारा, हरिनगर, सारंगी, समोई एवं चैनपुरा। 26: भगोर, बेकल्दा, मांडली एवं कालदेवी। 27: मेघनगर, रानापुर, बामनिया, झकनावदा, बलेड़ी।28: झाबुआ, आमखूँट, झीरण, ढोलियावाड़,रायपुरिया, काकनवानी, कनवाड़ा एवं कुलवट।
आलीराजपुर जिला: 22 फरवरी : आलीराजपुर व भाबरा। 23: आम्बुआ। 24: चाँदपुर, खट्टाली व बोरी न 25: सोंडवा, जोबट, फूलमाल। 26: वालपुर, कट्ठीवाड़ा व उदयगढ़। 27: उमराली व नानपुर। 28: छकतला व सोरवा।