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सतपुड़ा में नागद्वारी की दुर्गम यात्रा

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वार्ता

मध्यप्रदेश में छिंदवाड़ा से लगभग 160 किलोमीटर की दूरी पर सतपुडा की पहाडि़यों में स्थित नाग गुफा की दुर्गम नागद्वारी यात्रा के लिए नागपंचमी के अवसर पर राज्य के विभिन्न भागों से बडी संख्या में श्रद्धालु पहुँच रहे हैं।

नागपंचमी तक चलने वाली सोलह किलोमीटर की इस कठिन यात्रा के लिए श्रावण मास की शुरूआत से ही श्रद्धालु साइकिल, मोटर साइकिल और निजी वाहनों से पहुँचना शुरू हो गए थे। बड़‍ी संख्या में श्रद्धालु पैदल ही इस यात्रा के लिए पहुँचते हैं, जिनमें पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र से भी कई श्रद्धालु होते हैं।

लगभग सौ वर्ष पहले शुरू हुई नागद्वारी यात्रा कश्मीर की अमरनाथ यात्रा की तरह ही कठिन है। कई मायनों में तो यह उससे भी ज्यादा चुनौतीपूर्ण और मुश्किल है। ऊँचे-नीचे दुर्गम पहाड़ी रास्तों पर बरसात में यात्रियों के लिए किसी तरह का आश्रय स्थल नहीं है। यहाँ तक कि उन्हें खड़ा होने और बैठने के लिए भी स्थान नहीं मिलता है। यह तो श्रद्धालुओं की आस्था से उत्पन्न साहस तथा उनका धैर्य और संयम ही है जो उनमें मंजिल तक पहुँचने का जज्बा कायम रखता है।

इस यात्रा में हर साल श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है। सतपुडा के घने जंगलों में कोहरे, तेज बारिश और आसमान पर उमड़ते-घुमड़ते बादलों के बीच यात्रा करने का अपना अलग ही आनंद है। नागद्वारी की यात्रा करने वाले बडे़-बुजुर्ग बताते हैं कि पुराने समय में यात्रा के दौरान रास्ते में बडी संख्या में साँपों के दर्शन हो जाते थे। जिन्हें आहिस्ते से मार्ग से हटाकर यात्रा पर आगे बढ़ा जाता था। अब भी यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को साँप दिखाई दे जाते हैं। उनके लिए यह सौभाग्य की बात होती है।

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