raksha bandhan

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

हरियाली तीज का महत्व

शिव और पार्वती का पुर्नमिलाप

Advertiesment
हमें फॉलो करें व्रत त्योहार
ND

भगवान शिव और पार्वती के पुर्नमिलाप के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले इस त्योहार के बारे में मान्यता है कि मां पार्वती ने 107 जन्म लिए थे भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए। अंततः मां पार्वती के कठोर तप और उनके 108वें जन्म में भगवान ने पार्वती जी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। तभी से ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से मां पार्वती प्रसन्न होकर पतियों को दीर्घायु होने का आशीर्वाद देती हैं।

हरियाली तीज की पूजा विधि :
यह त्योहार वैसे तो तीन दिन मनाया जाता है लेकिन समय की कमी की वजह से लोग इसे एक ही दिन मनाते हैं। इसमें पतिव्रता पत्नियां निर्जला व्रत रखती हैं। हाथों में नई चूड़ियां, मेहंदी और पैरों में अल्ता लगाती हैं और नए वस्त्र पहन कर मां पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं।

ND
यह व्रत केवल महिलाओं तक ही सीमित नहीं होता, बल्कि कई जगहों पर पुरुष मां की प्रतिमा को पालकी पर बैठाकर झांकी भी निकालते हैं।

- सबसे पहले महिलाएं किसी बगीचे या मंदिर में एकत्रित होकर मां की प्रतिमा को रेशमी वस्त्र और गहने से सजाएं।

- अर्धगोले का आकार बनाकर माता की मूर्ति बीच में रखें और माता की पूजा करें। सभी महिलाओं में से एक महिला कथा सुनाए, बाकी सभी कथा को ध्यान से सुनें व मन में पति का ध्यान करें और पति की लंबी उम्र की कामना करें।

- कुछ जगहों पर महिलाएं माता पार्वती की पूजा करने के पश्चात लाल मिट्टी से नहाती हैं। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से महिलाएं पूरी तरह से शुद्ध हो जाती हैं।

- दिन के अंत में वह खुशी से नाचती-गाती और झूला झूलती हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi