Chaturmas 2022 : 10 जुलाई 2022 आषाड़ी एकादशी अर्थात देवशयनी एकादशी से चातुर्मास प्रारंभ हो गए हैं जो कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी अर्थात देवउठनी एकादशी तक चलेंगे। यदि आपने चातुर्मास के 10 नियमों अपना लिया तो होंगे आपको 10 बड़े फायदे।
चातुर्मास के 10 नियम- 10 rules of Chaturmas:
1. व्रत करें : चातुर्मास के चार माह में व्रतों का पालन करना जरूरी है।
2. भूमि पर सोएं : इस दौरान फर्श या भूमि पर सोना लाभदायक होता है।
3. सूर्योदय से पूर्व उठें : सूर्योदय से पहले उठना बहुत शुभ माना जाता है।
4. अच्छे से स्नान करें : इस माह में अच्छे से प्रतिदिन स्नान करना चाहिए।
5. मौन रहें : इन चार माह में अधिकतर समय मौन रहना चाहिए।
6. एकाशना : इन चार माह में दिन में केवल एक ही बार ही उत्तम भोजन ग्रहण करना चाहिए। रात्रि में फलाहार कर सकते हैं।
7. ब्रह्मचर्य का पालन : इन चार माह में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
8. ध्यान योग या संत्संग : प्रतिदिन सुबह और शाम को 20-20 मिनट का ध्यान करें और सूर्य नम:स्कार करें। यदि ऐसा नहीं कर सकते हैं तो सत्संग का लाभ लें।
9. भगवान विष्णु और शिव की करें उपासना : प्रतिदिन सुबह और शाम को विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करें या ॐ नमोः नारायणाय, ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र की रोज एक माला सुबह और शाम को जपें। इसी तरह शिवजी की उपासना भी करें। पितरों को तर्पण करें।
10. दान करें : इन चार माह में 5 तरह का दान करें। 1.अन्नदान : किसी गरीब को, पशु या पक्षी को भोजन कराएं, 2.दीपदान : नदी के जल में दीप छोड़े या मंदिर में दीप जलाएं। 3. वस्त्रदान : किसी गरीब को वस्त्र का दान करें। 4. छायादान : कटोरी में सरसों के तेल में अपनी चेहरा देखकर उसे शनिमंदिर में दान कर दें। 5.श्रमदान : किसी मंदिर या आश्रम में सेवा करके श्रमदान दे सकते हैं।
चातुर्मास नियमों के 10 फायदे- 10 benefits of Chaturmas :
1. आपकी सेहत में जबरदस्त सुधार होगा। रोग होगा तो मिट जाएगा।
2. मानसिक संताप मिट जाएंगे। किसी भी प्रकार से भय और चिंता नहीं रहेगी।
3. सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। जो भी आप जीवन में पाना चाहते हैं वह पूर्ण होगा।
4. सभी तरह के पापों का नाश हो जाता है। यदि आपने जाने-अनजाने जो पाप किए होंगे उनका क्षय हो जाएगा।
5. सभी तरह के मानसिक विकार मिट जाते हैं और मानसिक दृढ़ता प्राप्त होती है।
6. पितृदोष से मुक्ति मिलेगी और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
7. विधिवत व्रत और पूजन करने से भगवान विष्णु और शिवजी की कृपा प्राप्त होगी।
8. सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी। घर में धन धान्य बना रहता है।
9. भाई-बंधुओं का सुख प्राप्त होता है। परिवार में सुख शांति बनी रहेगी।
10. आत्म विश्वास, त्याग, समर्पण और संयम की भावना का विकास होता है।