आंवला नवमी पर 5 घंटे का है शुभ मुहूर्त, जानें पूजा विधि और महत्व
* आंवला नवमी पर करें आंवले के वृक्ष की पूजा, हर मनोकामना होगी पूरी...
* आंवला नवमी : जानें पूजा विधि और पूजन का शुभ मुहूर्त एवं व्रतकथा
आंवला भगवान विष्णु का पसंदीदा फल है। आंवले के वृक्ष में समस्त देवी-देवताओं का निवास होता है इसलिए आंवला नवमी के दिन इसकी पूजा करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन द्वापर युग का प्रारंभ हुआ था। भारतीय सनातन पद्धति में आंवला नवमी की पूजा को महत्वपूर्ण माना गया है। आंवला नवमी को अक्षय नवमी के रूप में भी जाना जाता है। कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन इस वर्ष रविवार, 29 अक्टूबर को मनाई जा रही है।
पूजन के शुभ मुहूर्त का समय- रविवार, 29 अक्टूबर। सुबह 6.34 मिनट से दोपहर 12.04 मिनट तक रहेगा। पूजन के लिए 5 घंटे 29 मिनट का समय शुभ माना गया है।
पूजन का महत्व- इस दिन पुत्ररत्न तथा सुख-सौभाग्य व समृद्धि की कामना से महिलाएं आवंले के वृक्ष का पूजन करती हैं। 108 बार परिक्रमा कर वृक्ष की जड़ को दुग्ध की धार अर्पित करती हैं। पूजन पश्चात ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। इस व्रत को खासतौर पर कार्तिक स्नान करने वाली महिलाएं करती हैं।
आंवला नवमी खासकर महिलाओं द्वारा यह नवमी पुत्ररत्न की प्राप्ति के लिए मनाई जाती है। कहा जाता है कि यह पूजा व्यक्ति के समस्त पापों को दूर कर पुण्य फलदायी होती है जिसके चलते कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को महिलाएं आंवले के पेड़ की विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर अपनी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करती हैं।
जानिए क्या करें इस दिन ?
आंवला नवमी पर आंवले के वृक्ष के पूजन का महत्व है। इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे पूर्व दिशा में बैठकर पूजन कर उसकी जड़ में दूध देना चाहिए। इसके बाद पेड़ के चारों ओर कच्चा धागा बांधकर कपूर बाती या शुद्ध घी की बाती से आरती करते हुए 7 बार परिक्रमा करनी चाहिए। इस दिन महिलाएं किसी ऐसे गार्डन में जहां आंवले का वृक्ष हो, वहां जाकर वहीं भोजन करती हैं।
क्या कहती हैं प्राचीन परंपरा
अक्षय नवमी पर नगर प्रदक्षिणा करने से पूरे कार्तिक मास में किए गए दान-पुण्य तथा प्रदक्षिणा का फल मिलता है। वर्तमान में इसकी जानकारी कम लोगों को है लेकिन जिन्हें है, वे पूरी श्रद्धा से प्रदक्षिणा कर धर्मलाभ लेते हैं। इस दिन कई स्थानों पर नगर प्रदक्षिणा की परंपरा भी है।
कैसे करें आंवला नवमी पर पूजन
* कार्तिक शुक्ल नवमी के दिन महिलाएं सुबह से ही स्नान-ध्यान कर आंवले के वृक्ष के नीचे पूर्व दिशा में मुंह करके बैठती हैं।
* इसके बाद वृक्ष की जड़ों को दूध से सींचकर उसके तने पर कच्चे सूत का धागा लपेटा जाता है।
* तत्पश्चात रोली, चावल, धूप दीप से वृक्ष की पूजा की जाती है।
* महिलाएं आंवले के वृक्ष का पूजन कर 7 या 108 परिक्रमाएं करती हैं।
* उसके बाद भोजन करने का विधान है जिसके प्रभाव से मनुष्य रोगमुक्त होकर दीर्घायु बनता है।
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