अक्षय तृतीया का शुभ पर्व इस बार 28 व 29 दो दिन को मनाया जाएगा। इसे आखातीज या वैशाख तीज भी कहते हैं। इस दिन किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत की जा सकती है। इस दिन स्वयं सिद्ध मुहूर्त है। पुराणों में अक्षय तृतीया का अखंड शुभ फलदायक तिथि के रूप में वर्णन किया गया है।
इस बार आखातीज का पर्व दो दिन है। कई विद्वान अक्षय तृतीया को 29 को भी बता रहे हैं किंतु हिंदू धर्म सिंधु पंचांग के अनुसार यह 28 को ही मानी जाएगी। उदयकाल व उज्जैन कैलेंडर के अनुसार 29 अप्रैल को तृतीया रहेगी। पंचाग के अनुसार वैशाख शुक्ल तृतीया युगादि तिथि होती है। 29 अप्रैल को उदयकाल में तृतीया तिथि मात्र 2 घड़ी 35 पल है।
स्वयंसिद्ध मुहूर्त में करें मनोरथ पूरे
हर बार की तरह इस बार भी तृतीया पर स्वयं सिद्ध मुहूर्त है जो अनंत अखंड अक्षय शुभ और मंगल फलदायक है। इस दिन जिसका भी परिणय संस्कार होगा उसका सौभाग्य अखंड रहेगा। इस दिन महालक्ष्मी की विशेष पूजा से विशेष धन प्राप्ति के योग बन रहे हैं अत: इस शुभ अवसर का लाभ उठाया जाना चाहिए। यह पर्व 17 साल बाद अमृतसिद्धि योग में 29 अप्रैल को मनाया जाएगा। जबकि तृतीया 28 अप्रैल को शाम 4.28 से शुरू होगी, जो 29 अप्रैल दोपहर 12.57 बजे तक रहेगी।