Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

अक्षय तृतीया पर पढ़ें पौराणिक व्रत कथा

Advertiesment
हमें फॉलो करें अक्षय तृतीया पर पढ़ें पौराणिक व्रत कथा
प्राचीनकाल में सदाचारी तथा देव-ब्राह्मणों में श्रद्धा रखने वाला धर्मदास नामक एक वैश्य था। उसका परिवार बहुत बड़ा था। इसलिए वह सदैव व्याकुल रहता था। उसने किसी से अक्षय तृतीया व्रत के माहात्म्य को सुना। कालांतर में जब यह पर्व आया तो उसने गंगा स्नान किया।
विधिपूर्वक देवी-देवताओं की पूजा की। गोले के लड्डू, पंखा, जल से भरे घड़े, जौ, गेहूं नमक, सत्तू, दही, चावल, गुड़, सोना तथा वस्त्र आदि दिव्य वस्तुएं ब्राह्मणों को दान की।

स्त्री के बार-बार मना करने, कुटुम्बजनों से चिंतित रहने तथा बुढ़ापे के कारण अनेक रोगों से पीड़ित होने पर भी वह अपने धर्म-कर्म और दान-पुण्य से विमुख न हुआ। यही वैश्य दूसरे जन्म में कुशावती का राजा बना।

अक्षय तृतीया के दान के प्रभाव से ही वह बहुत धनी तथा प्रतापी बना। वैभव संपन्न होने पर भी उसकी बुद्धि कभी धर्म से विचलित नहीं हुई।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

गुरुवार, 5 मई 2016 : क्या कहती है आपकी राशि