Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

19 जुलाई: आशा दशमी क्यों मनाई जाती है, किस देवी का पूजन होता है इस दिन

हमें फॉलो करें 19 जुलाई: आशा दशमी क्यों मनाई जाती है, किस देवी का पूजन होता है इस दिन
Asha Dashmi 2021
 
जीवन की समस्त आशाओं को पूर्ण करने वाला आशा दशमी व्रत इस वर्ष 19 जुलाई 2021, सोमवार को मनाया जा रहा है। यह व्रत किसी भी मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि से आरंभ किया जा सकता है। यह व्रत करने से मनुष्य के जीवन की सभी आशाएं पूर्ण होती हैं।

आशा दशमी मनाने का उद्देश्य अच्छी सेहत, अच्छा वर और पति और संतान की अच्छी सेहत के लिए किया जाता है। इस दिन ऐन्द्री, आग्रेयी, याम्या, नैऋति, वारुणी, वाल्व्या, सौम्या, ऐशनी, अध्: तथा ब्राह्मी इन दस आशा देवियों से अपनी कामनाओं की सिद्धि के लिए पूजन एवं प्रार्थना की जाती है।
 
महत्व- आशा दशमी व्रत का प्रारंभ महाभारत काल से माना जाता है। इस व्रत का महत्व भगवान कृष्ण ने पार्थ को बताया था। आशा दशमी व्रत को आरोग्य व्रत भी कहा जाता है क्योंकि इस व्रत के प्रभाव से शरीर हमेशा निरोगी रहता है। इस व्रत से मन शुद्ध रहता है तथा व्यक्ति को असाध्य रोगों से भी मुक्ति मिलती है।
 
 
इस व्रत के पीछे यह धार्मिक मान्यता है कि कोई भी कन्या इस व्रत को करने से श्रेष्ठ वर प्राप्त करती है। अगर किसी स्त्री का पति यात्रा प्रवास के दौरान जल्दी घर लौट कर नहीं आता है तब सुहागिन महिला इस व्रत को करके अपने पति को शीघ्र प्राप्त कर सकती है। यदि कोई भी कन्या इस व्रत को करती हैं, तो वह श्रेष्ठ वर प्राप्त करती है।
 
आइए जानें किस देवी का पूजन, कैसे और कितने समय के लिए करें यह व्रत- 
 
* यह व्रत 6 माह, 1 वर्ष अथवा 2 वर्षों त‍क करना चाहिए।
 
* दशमी के दिन प्रात: नित्य कर्म, स्नानादि से निवृत्त होकर देवताओं का पूजन करके रात्रि में पुष्प, अलक तथा चंदन आदि से 10 आशा देवियों की पूजा करनी चाहिए। ऐन्द्री, आग्रेयी, याम्या, नैऋति, वारुणी, वाल्व्या, सौम्या, ऐशनी, अध्: तथा ब्राह्मी इन दस आशा देवियों का पूजन करें। इस दिन माता पार्वती का भी पूजन किया जाता है।
 
* इस व्रत को करने वाले हर मनुष्‍य को आंगन में दसों दिशाओं के चित्रों की पूजा करनी चाहिए। दसों दिशाओं के अधिपतियों की प्रतिमा, उनके वाहन तथा अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित कर दस दिशा देवियों के रूप में मानकर पूजन करना चाहिए।
 
* इसके पश्‍चात निम्न प्रार्थना करती चाहिए।
 
'आशाश्चाशा: सदा सन्तु सिद्ध्यन्तां में मनोरथा:।
भवतीनां प्रसादेन सदा कल्याणमस्त्विति।।'
 
यानी 'हे आशा देवियों, मेरी सारी आशाएं, सारी उम्मीदें सदा सफल हों। मेरे मनोरथ पूर्ण हों, मेरा सदा कल्याण हो, ऐसा आशीष दें।'
 
* दसों दिशाओं में घी के दीपक जलाकर धूप दीप और फल आदि समर्पित करना चाहिए।

* तत्पश्चात ब्राह्मण को दान-दक्षिणा देने के बाद प्रसाद स्वयं ग्रहण करना चहिए।
 
* इसी तरह तब तक हर महीने इस व्रत को करना चाहिए। जब तक आपकी मनोकामना पूर्ण न हो जाए।
 
* आशा दशमी का व्रत के करने से सभी आशाएं पूर्ण हो जाती हैं।
 
इस व्रत के प्रभाव से शिशु की दंत जनिक पीड़ा भी दूर हो जाती है।

webdunia
Asha Dashmi Pujan
 
- राजश्री कासलीवाल
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

19 जुलाई 2021 का राशिफल | मेष से मीन, जानिए 12 राशियों का आज का भविष्यफल