हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र माह से प्रारंभ होने वाले वर्ष के चौथे माह यानी आषाढ़ को सबसे पवित्र महीना माना जाता है। आषाढ़ मास को वर्षा ऋतु का महीना भी कहा जाता है। आषाढ़ भगवान विष्णु का प्रिय मास है, अत: इस माह का धार्मिक महात्म्य बहुत ही विशेष है।
इस माह में किया गया दान-पुण्य मनुष्य के लिए पुण्य फलदायक रहता है। वर्ष 2019 में 18 जून, मंगलवार से आषाढ़ मास का आरंभ होगा, जो 16 जुलाई को आषाढ़ पूर्णिमा के साथ समाप्त होगा। शास्त्रों के अनुसार आषाढ़ नाम भी पूर्वाषाढ़ा और उत्तराषाढ़ा नक्षत्रों पर आधारित है। आषाढ़ माह की पूर्णिमा को चंद्रमा इसी नक्षत्र में रहता है जिस कारण इस महीने का नाम आषाढ़ पड़ा।
इस माह कई खास व्रत-त्योहार आ रहे हैं। आइए जानें :-
योगिनी एकादशी- इस माह के खास व्रत-त्योहारों में आषाढ़ कृष्ण एकादशी को 28 जून को योगिनी एकादशी मनाई जाएगी। धार्मिक ग्रंथों में यह तिथि बहुत ही शुभ मानी जाती है। इस दिन श्रीहरि विष्णुजी के पूजन का अधिक महत्व है।
आषाढ़ अमावस्या- 2 जुलाई, मंगलवार को आषाढ़ कृष्ण अमावस्या मनाई जाएगी। इसी दिन भौमवती अमावस्या, हलहारिणी अमावस्या भी मनाई जाएगी। यह तिथि खासकर नदी स्नान, दान-पुण्य तथा पितृकर्म के लिए बहुत ही पुण्य फलदायी मानी जाती है।
इस दिन नदी, सरोवर तट आदि पर स्नान तथा दान पुण्य करने का विशेष महत्व है। इस दिन पितरों के निमित्त दान तथा पितृ पूजन करने से पितरों का आशीष मिलता है तथा वे अपने परिवारजनों को हर तरह से सुखी रहने का आशीर्वाद देते हैं।
गुप्त नवरात्रि पर्व- 3 जुलाई, बुधवार से गुप्त नवरात्रि पर्व शुरू होंगे। इन दिनों देवी भगवती की गुप्त रूप से आराधना की जाएगी।
जगन्नाथ यात्रा- 4 जुलाई को भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकाली जाती है। आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकाली जाती है। इसमें भगवान जगन्नाथ, बलराम एवं सुभद्राजी का रथोत्सव निकाला जाता है। इसी दिन स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि भी मनाई जाएगी।
देवशयनी एकादशी- आषाढ़ शुक्ल एकादशी यानी 12 जुलाई, शुक्रवार को देवशयनी एकादशी मनाई जाएगी। इस दिन से भगवान विष्णु चातुर्मास के लिए सो जाते हैं और देवउठनी एकादशी को ही जागते हैं। इस दिन से देवी-देवता 4 माह के लिए शयन करने चले जाएंगे। इसे चौमासा भी कहा जाता है। इस दौरान सभी मांगलिक कार्यक्रमों पर विराम लग जाता है। इसी दिन पंढरपुर मेले का भी आयोजन होगा।
जया पर्वती व्रत- 14 जुलाई, रविवार से जया पार्वती व्रत प्रारंभ होगा जिसमें शिव-पार्वती माता का पूजन-अर्चन किया जाएगा।
आषाढ़ पूर्णिमा- 16 जुलाई, मंगलवार को आषाढ़ पूर्णिमा मनाई जाएगी। इसे आषाढ़ी पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा, व्यास पूर्णिमा आदि नामों से भी जाना जाता है। यह दिन धार्मिक पूजा-अर्चना की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। इसके पश्चात भगवान शिव का सबसे प्रिय श्रावण मास प्रारंभ होगा।