मां बगलामुखी के संबंध में पौराणिक एवं प्रचलित कथा के अनुसार- एक बार सतयुग में महाविनाश उत्पन्न करने वाला ब्रह्मांडीय तूफान उत्पन्न हुआ, जिससे संपूर्ण विश्व नष्ट होने लगा। चारों ओर हाहाकार मच गया और संसार की रक्षा करना असंभव हो गया।
यह तूफान सबकुछ नष्ट करता हुआ आगे बढ़ता जा रहा था, यह देख श्रीहरि भगवान विष्णु चिंतित हो गए। इस समस्या का कोई हल न निकलता देख वह भगवान भोलेनाथ का स्मरण करने लगे। तब शिव ने उन्हें दर्शन देकर कहा कि- शक्ति के अतिरिक्त अन्य कोई इस विनाश को रोक नहीं सकता, अत: आप उनकी शरण में जाइए।
तब भगवान शिव की आज्ञा से श्रीहरि भगवान विष्णु हरिद्रा सरोवर के निकट पहुंचे और कठोर तप करने लगे। इस तप से उन्होंने महात्रिपुरासुंदरी को प्रसन्न किया।
श्रीहरि विष्णु की साधना से देवी शक्ति प्रसन्न हुई और सौराष्ट्र क्षेत्र की हरिद्रा झील में जलक्रीडा करती महापीत देवी के हृदय से दिव्य तेज उत्पन्न हुआ और देवी बगलामुखी के रूप में प्रकट हुई। तब भगवती मां बगलामुखी ने प्रसन्न होकर विष्णु को इच्छित वर दिया, तब कहीं सृष्टि का विनाश रूक सका।