Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

इस पौराणिक दिव्य देव प्रबोधन मंत्र से जागते हैं देवता

Advertiesment
हमें फॉलो करें देवउठनी एकादशी
देवउठनी एकादशी पर अवश्य पढ़ें यह दिव्य देव प्रबोधन मंत्र
 
 
दीपावली से ग्यारहवीं (चांद) तिथि में अर्थात कार्तिक शुक्ल एकादशी को देवत्व प्रबोधन एकादशी मनाई जाती है। मान्यता है कि देव प्रबोधन मंत्र से दिव्य तत्वों की जागृति होती है। देव प्रबोधन मंत्र  इस प्रकार है : - 
 
ब्रह्मेन्द्ररुदाग्नि कुबेर सूर्यसोमादिभिर्वन्दित वंदनीय,
बुध्यस्य देवेश जगन्निवास मंत्र प्रभावेण सुखेन देव।
 
- अर्थात- ब्रह्मा, इंद्र, रुद्र, अग्नि, कुबेर, सूर्य, सोम आदि से वंदनीय, हे जगन्निवास, देवताओं के स्वामी आप मंत्र के प्रभाव से सुखपूर्वक उठें। 
 
 
देवोत्थान हेतु स्तुति : - 
 
उदितष्ठोतिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पते,
त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत्सुप्तं भवेदिदम्‌।
उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव॥
 
- वास्तव में देव प्रबोधन एकादशी भगवान विष्णु की आराधना का अभिनव अवसर है। देव प्रबोधन एकादशी को प्रातःकाल (ब्रह्म मुहूर्त) में नगर-नगर में भगवान नाम स्मरण, रामधुन (श्रीराम जय राम, जय-जय राम) कीर्तन गाजे-बाजे के साथ बालक, युवा, वृद्ध नर-नारी शामिल होकर नगर परिक्रमा करते हैं तथा आतिशबाजी के साथ देवोत्थान उत्सव मनाते हैं। 
 
ऐसा करते समय नारी (गृह लक्ष्मी) को हाथ में कलश के ऊपर दीप प्रज्ज्वलित कर चलना चाहिए। इससे अत्यधिक पुण्य फल प्राप्त होता है। पुराणों में इस तिथि को संपन्न पूजन कार्य को अत्यधिक फलदायी माना गया है। हरि-जागरण के उपरांत ही शुभ-मांगलिक कार्य प्रारंभ होते हैं।

webdunia

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

देवउठनी एकादशी पर इन फूलों से करें विष्णु पूजन, पाएं करोड़ों गुना पुण्य फल