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फाल्गुन माह की अमावस्या का महत्व और 5 अचूक उपाय जरूर जानें

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हमें फॉलो करें Falgun Amavasya 2025

WD Feature Desk

, सोमवार, 24 फ़रवरी 2025 (18:51 IST)
falgun amavasya ke achuk upay 2025: फाल्गुन माह की अमावस्या महाशिवरात्रि के बाद 27 जनवरी को रहेगी। पितृदोष निवारण के लिए फाल्गुन अमावस्या का दिन बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इसी के साथ ही इस अमावस्या के दिन और भी कई तरह के उपाय करके जीवन के संकटों से मुक्ति पाई जा सकती है। धन से जुड़ी समस्या के लिए करें माता लक्ष्मी का यह एकमात्र उपाय और शनिदेव की पूजा से मिलेगा लाभ।ALSO READ: Falgun Maah 2025: फाल्गुन मास में क्या करें और क्या नहीं करें?
 
अमावस्या प्रारंभ: 27 फरवरी 2025 को 08:57:29 से.
अमावस्या समाप्त: 28 फरवरी 2025 को 06:16:57 तक.
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 05:08 से 05:58 के बीच।
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:11 से 12:57 के बीच। 
 
1. पिंडदान या तर्पण करें: नदी के तट पर किसी योग्य पंडित से पिंडादान या तर्पण की क्रिया कराएं और उन्हें दान दक्षिणा दें। इस दिन नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों का तर्पण करें। पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करें और किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें। इससे पितृदोष और कालसर्प दोष का निवारण होगा। जीवन में आ रही बाधा दूर होगी।
 
2. 100 गायों को खिलाएं चारा: इस दिन किसी गौशाला में जाकर 100 गायों को एकसाथ चारा खिलाएं और गौशाला में कुछ दान देकर आएं। इससे हर तरह का संकट तुरंत ही दूर होकर जीवन में सुख, शांति और समृद्धि के मार्ग खुल जाएंगे।ALSO READ: Falgun month: फाल्गुन मास के व्रत त्योहारों की लिस्ट
 
3. माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के उपाय: धन की देवी मां लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए शाम के समय घर के ईशान कोण में गाय के घी का दीपक लगाएं। बत्ती में रूई के स्थान पर लाल रंग के धागे का उपयोग करें। साथ ही दीये में थोड़ी-सी केसर भी डाल दें। यह मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने का आसान उपाय है।
 
4. शनि पूजा : अमावस्या शनिदेव का दिन भी माना जाता है। इसलिए इस दिन उनकी पूजा करना जरूरी है। अमावस्या के लिए शनि मंदिर में नीले पुष्प  अर्पित करें। काले तिल, काले साबुत उड़द, कड़वा तेल, काजल और काला कपड़ा अर्पित करें।
 
5. पीपल में दीपक : अमावस्या के दिन शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसो के तेल का दीपक लगाएं और अपने पितरों को स्मरण करें। पीपल की सात परिक्रमा लगाएं और कुछ अन्य जल रखकर लौट आएं।  कर्पूर जलाने से देवदोष व पितृदोष का शमन होता है। प्रतिदिन सुबह और शाम घर में संध्यावंदन के समय कर्पूर जरूर जलाएं। कर्पूर को घी में डूबोकर फिर जलाएं और कभी कभी गुढ़ के साथ मिलाकर भी जलाएं।ALSO READ: Falgun Maah 2025: फाल्गुन मास का क्या है महत्व और क्यों पुराणों में हैं इसकी महिमा का गान?
 

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