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गीता जयंती पर क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त?

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WD Feature Desk

, मंगलवार, 10 दिसंबर 2024 (15:23 IST)
Geeta Jayanti 2024: मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहते हैं क्योंकि इसी दिन श्रीकृष्‍ण ने महाभारत के युद्ध में कुरुक्षेत्र में अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। इसलिए इसी दिन गीता जयंती मनाई जाती है। इस साल 2024 को गीता जयंती की 5161वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी। इस बार यह गीता जयंती 11 दिसंबर 2024 बुधवार को है। मान्यतानुसार इस दिन उपवास करने से मन पवित्र तथा शरीर स्वस्थ होता है।पापों से छुटकारा मिलता है तथा जीवन में सुख-शांति आती है।ALSO READ: गीता जयंती पर मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने के फायदे के साथ जानें उपवास रखने के नियम
 
एकादशी तिथि प्रारम्भ- 11 दिसम्बर 2024 को तड़के 03:42 बजे
एकादशी तिथि समाप्त- 12 दिसम्बर 2024 को मध्यरात्रि 01:09 बजे।
पारण व्रत तोड़ने का समय- 12 दिसंबर को सुबह 7:05 से 09:09 के बीच।
पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय- रात्रि 10:26 बजे।
 
गीता जयंती पर श्रीकृष्ण पूजा का शुभ मुहूर्त:- 
अमृत काल: प्रात: 09:34 से 11:03 बजे के बीच।
गोधूलि मुहूर्त: शाम को 05:22 से 05:50 के बीच इसके बाद 06:47 तक पूजा कर सकते हैं।
 
क्यों मनाई जाती है गीता जयंती?
जिस दिन श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था उस दिन मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी थी। इसीलिए इस दिन को गीता जयंती के रूप में मनाया जाने लगा। इस दिन कुरुक्षेत्र में महाभारत का युद्ध लड़ा गया था और तब लाखों लोग मृत्यु को प्राप्त हो गए थे। आर्यभट्‍ट के अनुसार महाभारत युद्ध 3137 ईपू में हुआ। इसीलिए इस दिन उपवास करने से मन पवित्र तथा शरीर स्वस्थ होता है, पापों से छुटकारा मिलता है तथा जीवन में सुख-शांति आती है एवं मोक्ष मिलता है।ALSO READ: Mokshada ekadashi 2024: मोक्षदा एकादशी कब है, क्या है श्रीकृष्‍ण पूजा का शुभ मुहूर्त?
  
गीता जयंती और मोक्षदा एकादशी पूजा विधि- Geeta Jayanti n Mokshada Ekadashi 2024
- मार्गशीर्ष शुक्ल ग्यारस के दिन गीता जयंती और मोक्षदा एकादशी व्रत रखा जाएगा।
- भगवान सूर्यदेव की उपासना करें। 
- एकादशी के एक दिन पूर्व से ही यानी दशमी से ही तामसिक भोजन का त्याग करें। 
- ब्रह्मचर्य रहकर एकादशी व्रत रखें। 
- गीता जयंती या मोक्षदा एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर श्री विष्णु का स्मरण और ध्यान करके दिन की शुरुआत करें। 
- तपश्चात नित्य कर्म से निवृत्त होकर पानी में गंगाजल मिलाकर 'ॐ गंगे' का मंत्र का उच्चारण करते हुए स्नान-ध्यान करें। 
- स्वच्छ धुले हुए वस्त्र धारण करके भगवान श्री विष्णु का पीले पुष्प, पीले फल, धूप, दीप, आदि चीजों से पूजन करें। 
- आरती करके पूजन संपन्न करें। 
- गीता पाठ का अध्याय पढ़ें और एकादशी की व्रतकथा का वाचन करें। 
- आज दिनभर व्रत-उपवास रखें। 
- सायंकाल पूजन-आरती के पश्चात प्रार्थना करके फलाहार करें।
- इस व्रत में एक बार जल और एक फल ग्रहण कर सकते हैं। 
- गीता के उपदेशों को जीवन में अपनाने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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