1. गोपाष्टमी पर शुभ व ब्रह्म मुहूर्त में गाय और उसके बछड़े को नहला धुलाकर श्रृंगार किया जाता है।
2. गाय को सजाने के बाद गौ माता की पूजा और परिक्रमा करें।
3. परिक्रमा के बाद गाय और उसके बछड़े को घर से बाहर लेकर जाएं और कुछ दूर तक उनके साथ चलें।
4. ग्वालों को दान करना चाहिए।
5. शाम को जब गाय घर लौटती हैं, तब फिर उनकी पूजा करें।
6. गोपाष्टमी पर गाय को हरा चारा, हरा मटर एवं गुड़ खिलाएं।
7. जिन के घरों में गाय नहीं हैं वे लोग गौशाला जाकर गाय की पूजा करें। उन्हें गंगा जल, फूल चढ़ाएं, गुड़, हरा चारा खिलाएं और दीया जलाकर आरती उतारें।
8. गोपाष्टमी के दिन जो व्यक्ति गाय के नीचे से निकलता उसको बड़ा पुण्य मिलता है।
9. शास्त्रों के अनुसार गाय में 33 करोड़ देवताओं का वास होता है और माता का दर्जा दिया गया है इसलिए गौ पूजन से सभी देवता प्रसन्न होते हैं।
10. गोपाष्टमी के शुभ अवसर पर गौशाला में गो संवर्धन हेतु गौ पूजन का कार्यक्रम भी आयोजित किया जाता है। गौशाला में यथाशक्ति दक्षिणा,भोजन अन्य वस्तु इत्यादि दान दें।