वर्ष 2022 में मंगलवार, 15 मार्च 2022 को गोविंद द्वादशी (Govinda Dwadashi 2022) पर्व मनाया जा रहा है। यह पर्व प्रतिवर्ष फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार द्वादशी तिथि का संबंध भगवान श्री विष्णु से है। इस दिन भगवान गोविंद की पूजा-अर्चना विधि-विधान से की जाती है।
गोविंद द्वादशी व्रत रखने से मनोवांछित फल की प्राप्ति तथा संतान, धन-धान्य, सौभाग्य, ऐश्वर्य का सुख मिलता है तथा यह व्रत रोगों को दूर करके स्वास्थ्य लाभ भी देता है। यह व्रत करने से समस्त प्रकार मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
पुराणों में यह व्रत समस्त कार्य को सिद्ध करने वाला बताया गया है। व्रतधारी को यह व्रत पूर्ण श्रद्धा-विश्वास के साथ करना चाहिए। इसका पूजन भी एकादशी व्रत की तरह ही किया जाता है। इस दिन पूर्वजों का तर्पण करने की मान्यता है। फाल्गुन द्वादशी का दिन पूरे मनपूर्वक पूजा-पाठ, भजन, कीर्तन आदि करते हुए दिन व्यतीत करना चाहिए।
गोविंद द्वादशी पूजन विधि-Govinda Dwadashi Puja Vidhi 2022
- गोविंद द्वादशी के दिन नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान के पश्चात भगवान श्री विष्णु का पूजन करना चाहिए।
- मौली, रोली, कुमकुम, केले के पत्ते, फल, पंचामृत, तिल, सुपारी, पान आदि सामग्री रखें।
- पूजन के लिए- दूध, शहद, केला, गंगाजल, तुलसी पत्ता एवं मेवा मिलाकर पंचामृत से भगवान को भोग लगाएं।
- द्वादशी कथा पढ़ें।
- मंत्र- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम: का अधिक से अधिक जाप करें।
- श्री विष्णु तथा मां लक्ष्मी एवं प्रथम पूज्य श्री गणेश की स्तुति-आरती करें।
- पूजन के बाद पंचामृत एवं प्रसाद सभी को बांटें।
- ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद दक्षिणा दें। बाद में खुद भोजन करें।