गुरु पूर्णिमा का पर्व अध्यात्म, संत-महागुरु और शिक्षकों के लिए समर्पित एक भारतीय त्योहार है। इस वर्ष यह
महोत्सव 19 जुलाई 2016 को मनाया जाएगा। यह पर्व पारंपरिक रूप से गुरुओं के प्रति, संतों का सानिध्य प्राप्त
करने, अच्छी शिक्षा ग्रहण तथा संस्कार प्राप्त करने, शिक्षकों को सम्मान देने और उनके प्रति आभार व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है।
* प्रातः घर की सफाई, स्नानादि नित्य कर्म से निवृत्त होकर साफ-सुथरे वस्त्र धारण करके तैयार हो जाएं।
* घर के किसी पवित्र स्थान पर पटिए पर सफेद वस्त्र बिछाकर उस पर 12-12 रेखाएं बनाकर व्यास-पीठ बनाना
चाहिए।
* फिर हमें 'गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये' मंत्र से पूजा का संकल्प लेना चाहिए।
* तत्पश्चात दसों दिशाओं में अक्षत छोड़ना चाहिए।
* फिर व्यासजी, ब्रह्माजी, शुकदेवजी और शंकराचार्यजी के नाम, मंत्र से पूजा का आवाहन करना चाहिए।
* अब अपने गुरु अथवा उनके चित्र की पूजा करके उन्हें यथा योग्य दक्षिणा देना चाहिए।
* इस तरह से गुरु पूजन करने से जीवन में आई हर बाधा और विशेषकर करियर की रूकावटें दूर होती हैं। गुरु के आशीर्वाद हर आशीर्वाद में सबसे अधिक पवित्र और शीघ्र फलदायी माने गए हैं।