Pradosh Vrat for Lord Shiva: आषाढ़ मास का पहला सोम प्रदोष व्रत 23 जून 2025, सोमवार को रखा जाएगा। यह जून महीने का दूसरा और आखिरी प्रदोष व्रत भी होगा। इस बार 23 जून को सोम प्रदोष व्रत के साथ मासिक शिवरात्रि का भी संयोग बन रहा है, जिससे इस व्रत का लाभ दोगुना माना जा रहा है। धातर्मक मान्यतानुसार यह समय प्रदोष काल कहलाता है, जो सूर्यास्त के बाद आरंभ होता है और लगभग ढाई घंटे तक चलता है। इसी अवधि में भगवान शिव की पूजा करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है।
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आइए यहां जानते हैं सोम प्रदोष व्रत पर शुभ मुहूर्त और पूजा की सही विधि...
सोम प्रदोष व्रत के शुभ मुहूर्त (जून 2025): Som Pradosh Vrat date and time 2025
• त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 22 जून की मध्यरात्रि के बाद, 23 जून 2025, रात 01 बजकर 21 मिनट पर।
• त्रयोदशी तिथि समाप्त: 23 जून 2025, रात 10 बजकर 09 मिनट पर होगा।
• प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त: 23 जून 2025 को शाम 07 बजकर 22 मिनट से रात 09 बजकर 23 मिनट तक।
• त्रयोदशी तिथि पर पूजन का सबसे खास समय- लगभग 02 घंटे 00 मिनट्स।
सोम प्रदोष व्रत पूजन विधि: सोम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा प्रदोष काल/ शाम का समय में की जाती है।
1. सुबह की तैयारी:
- प्रदोष व्रत के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें।
- स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
- पूरे दिन निर्जला या फलाहारी व्रत रखें।
- घर के मंदिर में दीपक प्रज्वलित करें और भगवान शिव का जलाभिषेक करें।
2. शाम की पूजा (प्रदोष काल में):
- शाम के समय (प्रदोष काल शुरू होने से पहले) दोबारा स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा के लिए एक मंडप या साफ स्थान तैयार करें। आप गाय के गोबर से मंडप बनाकर उस पर रंगोली भी बना सकते हैं।
- एक चौकी पर भगवान शिव, माता पार्वती और नंदी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुशा के आसन पर बैठ जाएं।
- अभिषेक: सबसे पहले भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक करें। इसके बाद उन्हें गाय के कच्चे दूध, दही, शहद, घी और मिश्री से अभिषेक करें। हर सामग्री से अभिषेक करने के बाद शुद्ध जल या गंगाजल चढ़ाएं।
- सामग्री अर्पित करें: शिवलिंग पर बेलपत्र (3 पत्तों वाला), आक के फूल, धतूरा, भांग, सफेद चंदन, अक्षत (साबुत चावल), काला तिल, शमी पुष्प व पत्र, कनेर, कलावा, फल और मिष्ठान (सफेद रंग का भोग जैसे मालपुआ या खीर) अर्पित करें।
- दीप और धूप: घी का दीपक जलाएं और धूप-अगरबत्ती करें।
- मंत्र जाप: 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। आप महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।
- कथा पाठ: सोम प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें या सुनें।
- शिव चालीसा: शिव चालीसा का पाठ करें।
- आरती: अंत में भगवान शिव और माता पार्वती सहित पूरे शिव परिवार की आरती करें।
- प्रार्थना और क्षमा याचना: पूजा में जाने-अनजाने में हुई किसी भी गलती के लिए क्षमा मांगें और अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए भगवान शिव से प्रार्थना करें।
3. पारण (व्रत खोलना):
- व्रत का पारण द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद प्रदोष काल समाप्त होने के बाद ही किया जाता है।
- पारण से पहले किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं या दान-दक्षिणा दें।
सोम प्रदोष व्रत पूरी श्रद्धा और निष्ठा के साथ करने से भगवान शिव और माता पार्वती का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है, और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
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