Dharma Sangrah

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
Wednesday, 2 April 2025
webdunia

तमिलनाडु में प्रसिद्ध है बैल से संबंधित जल्लीकट्टू खेल, जानें इतिहास, परंपरा और विवाद

बैल महोत्सव के रूप में मनाया जाता है तमिलनाडु का त्योहार जल्लीकट्टू। जानें इस फेस्टिवल के बारे में रोचक जानकारी

Advertiesment
हमें फॉलो करें तमिलनाडु में प्रसिद्ध है बैल से संबंधित जल्लीकट्टू खेल, जानें इतिहास, परंपरा और विवाद

WD Feature Desk

, गुरुवार, 16 जनवरी 2025 (09:45 IST)
jallikattu festival in tamilnadu: जल्लीकट्टू पोंगल उत्सव के दौरान मनाया जाने वाला तमिलनाडु का एक पारंपरिक खेल है, जिसे सल्लिकट्टू के नाम से भी जाना जाता है। और यह खेल पोंगल के तीसरे दिन यानि मट्टू पोंगल दिवस पर मनाया जाता है। यह खेल बैल और इंसान के बीच एक अनोखी लड़ाई है, जिसमें एक युवक एक बैल को काबू करने की कोशिश करता है।ALSO READ: 2025 में कब है पोंगल, जानें 4 दिनों तक क्यों मनाया जाता है यह पर्व?
 
जल्लीकट्टू का इतिहास : जल्लीकट्टू का इतिहास बहुत पुराना है। माना जाता है कि यह खेल 2000 साल से भी पहले से खेला जा रहा है। इसका उल्लेख तमिल साहित्य में भी मिलता है। आमतौर पर यह 16 जनवरी को पड़ता है। वर्ष 2025 में भी जल्लीकट्टू पर्व 16 जनवरी 2025 को मनाया जा रहा है।

जल्लीकट्टू शब्द 'जल्ली' अर्थात् सोने-चांदी के सिक्के और 'कट्टू' यानि 'बंधा हुआ' से बना है। इस खेल में बैलों की पीठ पर सिक्कों की थैली बांधी जाती थी, जिसे प्रतिभागी बैल को काबू करके निकालने की कोशिश करते थे। जल्लीकट्टू तमिल संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे तमिलनाडु के गौरव और संस्कृति का प्रतीक माना जाता है।ALSO READ: pongal date 2025: पोंगल का त्योहार क्यों और कैसे मनाते हैं?
 
जल्लीकट्टू का पारंपारिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व :
 
* सांस्कृतिक महत्व: जल्लीकट्टू तमिल संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है। यह तमिल लोगों की वीरता, साहस और शक्ति का प्रतीक है।
 
* सामाजिक एकता: जल्लीकट्टू लोगों को एक साथ लाता है और सामाजिक एकता और सहयोग को बढ़ावा देता है।
 
* पारंपरिक ज्ञान: जल्लीकट्टू में बैलों के साथ व्यवहार करने का पारंपरिक ज्ञान होता है।
 
* पर्यटन: जल्लीकट्टू का पर्व तमिलनाडु में पर्यटन को बढ़ावा देता है।
 
जल्लीकट्टू से जुड़े विवाद : जल्लीकट्टू के साथ कई विवाद भी जुड़े हुए हैं, जिसमें पशु क्रूरता प्रमुख है।
 
* पशु क्रूरता: कई पशु अधिकार संगठनों का मानना है कि जल्लीकट्टू में बैलों के साथ क्रूरता होती है।
* सुरक्षा: जल्लीकट्टू खेलते समय कई बार दुर्घटनाएं होती हैं, जिसमें खिलाड़ी और बैल दोनों घायल हो जाते हैं।
* कानूनी चुनौतियां: सुप्रीम कोर्ट ने पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, तमिलनाडु सरकार और लोगों के विरोध के बाद इस पर प्रतिबंध हटा लिया गया।
 
जल्लीकट्टू त्योहार का निष्कर्ष : जल्लीकट्टू तमिलनाडु की संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हालांकि, यह खेल विवादों से भी जुड़ा हुआ है। जल्लीकट्टू को बचाने के लिए यह जरूरी है कि इसे सुरक्षित और मानवीय तरीके से आयोजित किया जाए। जल्लीकट्टू को सुरक्षित तरीके से खेल कर विवादों से बचा जा सक‍ता है।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

निरंजनी अखाड़े के छावनी प्रवेश के दौरान रथ पर बैठीं हर्षा रिछारिया, क्यों मचा बवाल?