jyeshtha gauri Vrat avahana 2025: इस बार महाराष्ट्र में मनाया जाने वाला 3 दिवसीय महालक्ष्मी का व्रत 31 अगस्त 2025 रविवार से शुरू हो रहा है जो 2 सितंबर 2025 मंगलवार को समाप्त होगा। इन तीन दिवस में पहले दिन आवाह्न और स्थापना, दूसरे दिन पूजन और भोग और तीसरे दिन विसर्जन करते हैं। यहां पर महालक्ष्मी की पूजा गौरी के रूप में होती है, इसलिए इसे ज्येष्ठ गौरी व्रत भी कहते हैं। ज्येष्ठा गौरी देवी पार्वती का ही एक रूप हैं। यह त्योहार देवी गौरी को समर्पित होता है, जो धन, समृद्धि और शांति का प्रतीक हैं।
तीन दिवसीय व्रत में क्या करते हैं?
1. ज्येष्ठा गौरी मूर्ति आवाह्न और स्थापना:
इस तीन दिवसीय उत्सव में देवी गौरी की मूर्ति घर लाकर आवाहन और स्थापना करते हैं।
इस अवसर पर अनुराधा नक्षत्र में देवी के आगमन का उत्सव मानाकर मूर्ति स्थापित करते हैं।
घर को आम के पत्तों, फूलों और रंगोली से सजाकर देवी गौरी की मूर्ति का घर में स्वागत करते हैं।
देवी को वस्त्र, सिन्दूर, आभूषण आदि पहनाए जाते हैं।
2. ज्येष्ठा गौरी आवाहन और पूजन:
दूसरे दिन उनकी पूजा-अर्चना की जाती है।
ज्येष्ठा नक्षत्र में गौरी पार्वती की पूजा की जाती है और महानैवेद्य अर्पित किया जाता है।
सुबह स्नान के बाद सबसे पहले गणपति पूजन करते हैं।
इसके बाद देवी पार्वती को आसन देकर उन्हें जल और पंचामृत से स्नान कराते हैं।
वस्त्र, आभूषण, पुष्पमाला, इत्र, तिलक आदि अर्पित किए जाते हैं।
इसके बाद धूप-दीप जलाकर आरती करते हैं।
आरती के बाद 'ॐ पार्वत्यै नमः' या 'ॐ गौर्ये नमः' मंत्र का जाप करते हैं।
इसके बाद 16 प्रकार के फल, मिठाई और अन्य सामग्री का नैवेद्य अर्पित करते हैं।
अंत में शाम को फिर से विधि-विधान से आरती की जाती है।
3. ज्येष्ठा गौरी विसर्जन:
तीसरे दिन, मूल नक्षत्र में गौरी का विसर्जन किया जाता है।
सबसे पहले गौरी की पूजा और आरती करते हैं।
इसके बाद देवी गौरी की मूर्तियों को संगीत, नृत्य करते हुए जल में विसर्जित करने के लिए ले जाते हैं।
विसर्जन के बाद घर लौट आते हैं।