कजरी तीज पर्व इस वर्ष 25 अगस्त 2021 बुधवार को मनाया जाएगा। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रक्षाबंधन के 3 दिन बाद और कृष्ण जन्माष्टमी से 5 दिन पहले जो तीज आती है उसे सातुड़ी तीज, कजली तीज, भादौ तीज, बूढ़ी तीज के रूप में मनाया जाता है। बुधवार को यह व्रत धृति योग में रखा जाएगा।
1. भाद्रपद की तृतीया तिथि को कजरी तीज कहते हैं। इसे भादौ तीज भी कहा जाता है। इसे बूढ़ी तीज, कजली तीज, सातूड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है।
2. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि और संतान सुख की प्राप्ति के लिए व्रत करती हैं।
3. इस दिन मनवांछित फल हेतु सुहागिनें निर्जलाव्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा और आराधना करती हैं।
4. तृतीया तिथि 24 अगस्त की शाम 4:05 से शुरू हो कर 25 अगस्त को शाम 04 बजकर 18 मिनट तक रहेगी। ऐसे में कजरी तीज का व्रत 25 अगस्त को रखा जाएगा।
5. कजरी तीज के दिन यानी 25 अगस्त को सुबह 05 बजकर 57 मिनट तक धृति योग रहेगा। भद्रा के बाद पूजन किया जा सकेगा। भद्रा का समय 25 अगस्त 04:08:57 बजे से 16:21:00 बजे तक रहेगा। हालांकि चौघड़िया देखकर भी पूजन किया जा सकेगा।
6. इस दिन महिलाएं स्नान के बाद भगवान शिव और माता गौरी की मिट्टी की मूर्ति को एक चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर स्थापित करके विधि विधान से पूजन करती हैं।
7. कजरी पूजा के समय माता गौरी को सुहाग के 16 सामग्री अर्पित किए जाते हैं, वहीं भगवान शिव को बेल पत्र, गाय का दूध, गंगा जल, धतूरा, भांग आदि चढ़ाती हैं। फिर धूप और दीप आदि जलाकर आरती करती हैं और शिव-गौरी की कथा सुनती हैं।
8. कजरी तीज व्रत का पारण चंद्रमा के दर्शन करने और उन्हें अर्घ्य देने के बाद किया जाता है। 25 अगस्त 2021 के दिन चंद्रोदय रात करीब 8:27 बजे होगा।
9. कजरी तीज के दिन जौ, गेहूं, चने और चावल के सत्तू में घी और मेवा मिलाकर तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। उन्हीं से पारण किया जाता है।