* चम्पा षष्ठी पर होगी मनोकामनाओं की पूर्ति
शास्त्रों के अनुसार पुराणों में स्कंद षष्ठी का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान कार्तिकेय का पूजन मनोकामना सिद्धि को पूर्ण करने में सहायक सिद्ध होता है। स्कंद षष्ठी एवं चम्पा षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय के पूजन से रोग, राग, दुःख और दरिद्रता का निवारण होता है। पौराणिक धर्मग्रंथों के अनुसार शिव-पार्वती के पुत्र कार्तिकेय को युद्ध का देवता माना जाता है। दक्षिण भारत में उन्हें मुरुगन या अयप्पा नाम से जाना जाता है।
शास्त्रों के अनुसार स्कंद षष्ठी के दिन स्वामी कार्तिकेय ने तारकासुर नामक राक्षस का वध किया था इसलिए इस दिन भगवान कार्तिकेय के पूजन से जीवन में उच्च योग के लक्षणों की प्राप्ति होती है। कार्तिकेय को शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता हैं।
शास्त्रों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि स्कंद षष्ठी एवं चम्पा षष्ठी के महायोग का व्रत करने से काम, क्रोध, मद, मोह, अहंकार से मुक्ति मिलती है और सन्मार्ग की प्राप्ति होती है।
पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु ने माया-मोह में पड़े नारदजी का इसी दिन उद्धार करते हुए लोभ से मुक्ति दिलाई थी। इस दिन भगवान विष्णु के पूजन-अर्चन का विशेष महत्व है। इस दिन ब्राह्मण भोज के साथ स्नान के बाद कंबल, गरम कपड़े दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
स्कंद षष्ठी एवं चम्पा षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय के इन मंत्रों का जाप किया जाना चाहिए।
हर प्रकार के दुख एवं कष्टों के नाश के लिए पढ़ें कार्तिकेय गायत्री मंत्र
'ॐ तत्पुरुषाय विधमहे: महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कंदा प्रचोदयात'
शत्रु नाश के लिए
ॐ शारवाना-भावाया नम:
ज्ञानशक्तिधरा स्कंदा वल्लीईकल्याणा सुंदरा
देवसेना मन: कांता कार्तिकेया नामोस्तुते
* सुब्रहमणयाया नम: