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क्यों लिया था श्री विष्णु ने कच्छप अवतार।
कूर्म जयंती 2024 कब है।
कछुआ अवतार की कथा।
kurma jayanti: हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष 2024 में कूर्म जयंती 23 मई को मनाई जा रही है। हर साल कूर्म जयंती वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। पौराणिक मान्यतानुसार भगवान विष्णु ने कूर्म यानि कछुए का अवतार लेकर समुद्र मंथन में सहायता की थी।
धर्मग्रंथों की मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु कच्छप/कछुआ अवतार लेकर प्रकट हुए थे। साथ ही समुद्र मंथन के वक्त अपनी पीठ पर मंदार पर्वत को उठाकर रखा था। अतः भगवान विष्णु के कूर्म अवतार को कच्छप अवतार भी कहते हैं। यहां पढ़ें कथा :
इस दिन की कथा के अनुसार एक बार महर्षि दुर्वासा ने देवताओं के राजा इंद्र को श्राप देकर श्रीहीन कर दिया। इंद्र जब भगवान विष्णु के पास गए तो उन्होंने समुद्र मंथन करने के लिए कहा।
तब इंद्र भगवान विष्णु के कहे अनुसार दैत्यों व देवताओं के साथ मिलकर समुद्र मंथन करने के लिए तैयार हो गए। समुद्र मंथन करने के लिए मंदराचल पर्वत को मथानी एवं नागराज वासुकि को नेती बनाया गया।
देवताओं और दैत्यों ने अपने मतभेद भुलाकर मंदराचल को उखाड़ा और उसे समुद्र की ओर ले चले, लेकिन वे उसे अधिक दूर तक नहीं ले जा सके। तब भगवान विष्णु ने मंदराचल को समुद्र तट पर रख दिया। देवता और दैत्यों ने मंदराचल को समुद्र में डालकर नागराज वासुकि को नेती बनाया। किंतु मंदराचल के नीचे कोई आधार नहीं होने के कारण वह समुद्र में डूबने लगा।
यह देखकर भगवान विष्णु ने कूर्म यानि विशाल कछुए का रूप धारण कर समुद्र में मंदराचल के आधार बने, तब भगवान कूर्म की विशाल पीठ पर मंदराचल तेजी से घूमने लगा और इस प्रकार समुद्र मंथन संपन्न हुआ। इसी कारण कूर्म जयंती के दिन यह कथा पढ़ने का विशेष महत्व कहा गया हैं।
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