Kushotpatini Amavasya 2022 : आज 27 अगस्त, शनिवार को भाद्रपद की कुशोत्पाटिनी अमावस्या मनाई जा रही है जिसे कुशग्रहणी और पिथौरा अमावस्या भी कहते हैं। शनिवार होने के कारण यह शनि अमावस्या भी है। आओ जानते हैं कि इस दिन कौनसे भगवान की पूजा करना चाहिए।
1. शनि पूजा : अमावस्या के दिन भगवान शनिदेव का जन्म हुआ था। यदि अमवास्या शनिवार को पड़ रही है तो यह और भी महत्वपूर्ण है। इसीलिए इस दिन भगवान शनिदेव की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होगी।
2. दुर्गा पूजा : भाद्रपद की अमावस्या के दिन देवी दुर्गा सहित सप्तमातृका एवं 64 अन्य देवियों की पूजा की जाती है। इसीलिए इसे पिथौरा अमावस्या भी कहते हैं। विवाहिताओं द्वारा संतान प्राप्ति एवं संतान की कुशलता के लिए माता का व्रत रखती हैं। इस दिन माता पार्वती ने इंद्राणी को इस व्रत का महत्व बताया था।
3. पितृ पूजा : अमावस्या तिथि को पितरों की तिथि माना जाता है। इसीलिए इस दिन इस दिन नदी के तट पर पितरों की शांति के लिए पिंडदान करने का भी महत्व है। साथ ही पितृ पूजा या पितरों के देव यम और अर्यमा की पूजा की जाती है।
4. कालसर्प दोष की पूजा : इस दिन कालसर्प दोष निवारण के लिए पूजा-अर्चना भी की जा सकती है। कालसर्प निवारण हेतु शनि, राहु और केतु देव की पूजा होती है।
5. पीपल पूजा : इस दिन संध्याकाल में पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाने से आर्थिक समस्या का अंत हो जाता है।
इस दिन धार्मिक कार्यों के लिए कुशा एकत्रित कर कुश को घर में रखने से सुख-समृद्धि आती है।