Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

धूमावती जयंती विशेष : जब मां पार्वती ने ही निगल लिया भगवान शिव को, पढ़ें पवित्र कथा

हमें फॉलो करें धूमावती जयंती विशेष : जब मां पार्वती ने ही निगल लिया भगवान शिव को, पढ़ें पवित्र कथा
* माता पार्वती को कैसे मिला देवी धूमावती का नाम, पढ़ें पौराणिक कथा...
 
पुराणों के अनुसार एक बार मां पार्वती को बहुत तेज भूख लगी होती है किंतु कैलाश पर उस  समय कुछ न रहने के कारण वे अपनी क्षुधा शांत करने के लिए भगवान शंकर के पास जाती  हैं और उनसे भोजन की मांग करती हैं किंतु उस समय शंकरजी अपनी समाधि में लीन होते  हैं। मां पार्वती के बार-बार निवेदन के बाद भी शंकरजी ध्यान से नहीं उठते और वे ध्यानमुद्रा  में ही मग्न रहते हैं।
 
मां पार्वती की भूख और तेज हो जाती है और वे भूख से व्याकुल हो उठती हैं, परंतु जब मां  पार्वती को खाने की कोई चीज नहीं मिलती है, तब वे श्वास खींचकर शिवजी को ही निगल  जाती हैं। भगवान शिव के कंठ में विष होने के कारण मां के शरीर से धुआं निकलने लगता  है, उनका स्वरूप श्रृंगारविहीन तथा विकृत हो जाता है तथा मां पार्वती की भूख शांत होती है। तत्पश्चात भगवान शिव माया के द्वारा मां पार्वती के शरीर से बाहर आते हैं और पार्वती के  धूम से व्याप्त स्वरूप को देखकर कहते हैं कि अबसे आप इस वेश में भी पूजी जाएंगी। इसी  कारण मां पार्वती का नाम 'देवी धूमावती' पड़ा। 
एक अन्य कथा के अनुसार जब सती ने पिता के यज्ञ में अपनी स्वेच्छा से स्वयं को जलाकर  भस्म कर दिया तो उनके जलते हुए शरीर से जो धुआं निकला, उससे धूमावती का जन्म  हुआ इसीलिए वे हमेशा उदास रहती हैं।
 
मां धूमावती धुएं के रूप में सती का भौतिक स्वरूप हैं। 

- राजश्री कासलीवाल 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

वास्तु : जानिए, कौन से पेड़ हैं आपके लिए शुभ