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मार्गशीर्ष अमावस्या पर करते हैं सत्यनारायण भगवान की कथा, जानिए पूजा विधि

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WD Feature Desk

, गुरुवार, 28 नवंबर 2024 (14:50 IST)
Margashirsha Amavasya 2024: मार्गशीर्ष माह का पुराणों में बहुत महत्व बताया गया है। इसमें भी एकादशी, पूर्णिमा और अमावस्या का खास महत्व है। मार्गशीर्ष माह की अमावस्या को अगहन अमावस्या भी कहते हैं। इस दिन पितरों की शांति के लिए तर्पण, स्नान, दान-धर्म आदि कार्य किए जाने का महत्व है। मार्गशीर्ष अमावस्या पर देवी लक्ष्मी का पूजन करना भी बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन सत्यनारायण भगवान की पूजा करने से सभी तरह के संकट मिट जाते हैं।ALSO READ: मार्गशीर्ष अमावस्या पर पितरों को करें तर्पण, करें स्नान और दान मिलेगी पापों से मुक्ति
 
मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व:- 
1. इस दिन पितरों की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान, स्नान एवं दान करने का महत्व है।
2. इस दिन किए जाने वाले पितरों का तर्पण करने से पितरों को शांति मिलती हैं। 
3. इस दिन व्रत रखने से सभी तरह के संकटों का अंत होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। 
4. यदि आप व्रत नहीं रख रहे हैं तो पेड़ या पौधे में जल अर्पित करें।
5. इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा का पाठ और पूजा करने से पितरों को शांति मिलती है।
 
व्रत और पूजा : विधिवत रूप से व्रत रखने और कथा सुनने से व्यक्ति के जीवन के सभी तरह के संकट दूर हो जाते हैं। सत्यनारायण भगवान की पूजा में खासकर केले के पत्ते, नारियल, पंचफल, पंचामृत, पंचगव्य, सुपारी, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, तुलसी की आवश्यकता होती। इन्हें प्रसाद के रूप में फल, मिष्ठान और पंजरी अर्पित की जाती है।
 
मंत्र- 'ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः' का 108 बार जाप करें।
 
सत्यनाराण व्रत-पूजन कैसे करें:- 
इसके बाद नारद जी ने भगवान श्रीहरि विष्णु से व्रत विधि बताने का अनुरोध किया। तब भगवान श्रीहरि विष्णु जी बोले- सत्यनारायण व्रत करने के लिए व्यक्ति को दिन भर उपवास रखना चाहिए। श्री सत्यनारायण व्रत पूजनकर्ता को स्नान करके कोरे अथवा धुले हुए शुद्ध वस्त्र पहनें। माथे पर तिलक लगाएं और शुभ मुहूर्त में पूजन शुरू करें।
 
इस हेतु शुभ आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके सत्यनारायण भगवान का पूजन करें। इसके पश्चात्‌ सत्यनारायण व्रत कथा का वाचन अथवा श्रवण करें। संध्याकाल में किसी प्रकांड पंडित को बुलाकर सत्य नारायण की कथा श्रवण करवाना चाहिए। 
 
भगवान को भोग में चरणामृत, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, फल, फूल, पंचगव्य, सुपारी, दूर्वा आदि अर्पित करें। इससे सत्यनारायण देव प्रसन्न होते हैं। सत्यनारायण व्रत पूर्णिमा के दिन करने का विशेष महत्व है, क्योंकि पूर्णिमा सत्यनारायण का प्रिय दिन है, इस दिन चंद्रमा पूर्ण कलाओं के साथ उदित होता है और पूर्ण चंद्र को अर्घ्य देने से व्यक्ति के जीवन में पूर्णता आती है। पूर्णिमा के चंद्रमा को जल से अर्घ्य देना चाहिए। 
 
घर का वातावरण शुद्ध करके चौकी पर कलश रखकर भगवान श्री विष्णु की मूर्ति या सत्यनारायण की फोटो रख कर पूजन करें। परिवारजनों को एकत्रित करके भजन, कीर्तन, नृत्य गान आदि करें। सबके साथ प्रसाद ग्रहण करें, तदोपरांत चंद्रमा को अर्घ्य दें। यही सत्यनारायण भगवान की कृपा पाने का मृत्यु लोक में सरल उपाय है।

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