Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

समस्त संकट मिटाने वाला सोलह सोमवार व्रत, जानिए कैसे करें...

हमें फॉलो करें समस्त संकट मिटाने वाला सोलह सोमवार व्रत, जानिए कैसे करें...
- प्रकाशक एवं संकलनकर्ता - श्रीमती चंद्रमणी दुबे 



 
संकट (सोलह) सोमवार यह व्रत श्रावण (सावन) मास के प्रथम सोमवार से प्रारंभ किया जाता है अथवा कार्तिक या अगहन (मार्गशीर्ष) से भी प्रारंभ करते हैं। श्रावण मास में सोमवार व्रत अधिक से अधिक लोग करते हैं। अत: श्रावण मास ही सोमवार व्रत करने का उत्तम महीना माना गया है। 



 
कैसे करें सोमवार व्रत : - 
 
* सोमवार व्रत करने वाले स्त्री-पुरुष को चाहिए कि वे प्रात:काल तिल का तेल लगाकर स्नान करें। 

* इस व्रत में तीसरे पहर शाम को शिव-पार्वती की पूजा की जाती है। 

* इस व्रत को कई प्रकार से करते हैं, जैसे बिल्व-पत्र, मिश्री या चूरमा बनाकर। इसमें पानी भी नहीं पीते हैं। 

* सिर धोकर स्नान करके संध्या के पूर्व आधा किलो आटे का चूरमा बनाकर (गुड़ या शकर का शुद्ध घी में) बनाएं। 

* महादेवजी का विधिपूर्वक 16 बिल्व-पत्र, आंकड़े व धतूरे के फूल चढ़ाकर पूजन करें। इसके बाद चूरमे का भोग लगाएं। 

* भोग के पश्चात चूरमे के 3 भाग करें। एक भाग गाय को दें, दूसरा भाग प्रसाद के रूप में वितरण करें एवं तीसरा भाग स्वयं ग्रहण करें। इस दिन चूरमे के अतिरिक्त अन्य कोई आहार ग्रहण नहीं करें। 

* इस प्रकार 16 सोमवार तक व्रत करें, फिर 17वें सोमवार को उद्यापन करें।



आगे पढ़ें सोलह सोमवार व्रत की उद्यापन विधि :- 
 

 
webdunia

 
उद्यापन विधि :
 
उद्यापन के दिन सवा 5 किलो गेहूं के आटे से चूरमा बनाया जाता है। 16 जोड़े स्त्री-पुरुष को भोजन कराते हैं। 
 
भोजन में श्रद्धानुसार पकवान बनाएं तथा इस चूरमे का प्रसाद भी सभी को दें। ऊपर बताए अनुसार चूरमे के 3 भाग करें। एक भाग गाय को, शेष दो भागों में से ही प्रसाद रूप में वितरण करें तथा स्वयं भी इसी में से भोजन के रूप में लें। आप अन्य प्रकार का भोजन ग्रहण नहीं करें। 
 
16 जोड़ों में से पुरुषों को यथाशक्ति दक्षिणा दें तथा महिलाओं को सुहाग की वस्तुएं देना चाहिए।
 
उद्यापन के दिन विद्वान ब्राह्मण (पंडितजी) को बुलाकर विधि अनुसार हवन एवं पूजन कराना चाहिए। पूजन में महादेवजी का दूध, दही, घी, शकर से अभिषेक किया जाता है। अन्य पूजन सामग्री के लिए पंडितजी से पूछें। शिव-पार्वती को सरोपाव चढ़ाएं। कथा सुनें तथा आरती करें। 
 
पंडि‍तजी को यथेष्ट रूप से दक्षिणा दें। आशीर्वाद लें तथा उन्हें भी भोजन कराएं। आरती करें। पंडितजी को यथेष्ट रूप से दक्षिणा दें। आशीर्वाद लें तथा उन्हें भी भोजन कराएं।

साभार- बारह महीनों की व्रत कथाएं 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

जया पार्वती व्रत : जानिए पूजन-अर्चन और कथा