कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को यूं तो विनायक चतुर्थी का व्रत रखा जाता है और इस दिन भगवान गणेश की पूजा होती है परंतु आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में इस दिन नाग देवता की पूजा का प्रचलन है। इस दिन को इन राज्यों में नगुला चाविथि कहा जाता है। यह त्योहार दीपावली की अमावस्या के बाद चतुर्थी को आता है।
क्यों मनाते हैं नाग चतुर्थी : इस प्रदेश की महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र और अच्छाई के लिए यह पर्व मनाती हैं। नाग देवता की पूजा करने से सभी तरह के संकट दूर होकर समस्त प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
किन नागों की होती है पूजा : इस दिन 12 नाग देवताओं की होती है पूजा। 1. अनंत, 2. वासुकि, 3. शेष:, 4. पद्म, 5. कंबाला, 6. कर्कोटक, 7. अश्वतर:, 8. धृतराष्ट्र, 9. शंखपाल, 10. कालिया, 11. तक्षक और 12. पिंगला।
कैसे करते हैं पूजा :
1. आंध्र और तमिलनाडु के हर क्षेत्र में यह पूजा अलग अलग रीति के अनुसार होती है।
2. नाग देवताओं की स्थापित मूर्तियों की विधिवत पूजा की जाती है।
3. कुछ लोग पुट्टा नामक नागपिट में जाते हैं जहां वे पूजा करते हैं और उन्हें नैवेद्य अर्पित करते हैं।
4. यह भी कहा जाता है कि चींटी की पहाड़ियां नागों का निवास स्थान है, इसलिए लोग चींटी की पहाड़ियों की पूजा करते हैं। जहां पर वे दीये जलाकर, दूध, कुमकुम और विशेष मिठाई अर्पित कर नागों की पूजा करते हैं। इसके बाद वहां की थोड़ी-सी मिट्टी लेकर कान के पीछे लगाते हैं।
5. जो लोग चींटी की पहाड़ियों पर नहीं जा सकते हैं उनके लिए सपेरा नाग जाते हैं जिनकी वे पूजा करते हैं। कुछ नाग मंदिर भी हैं जहां पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही नगुला चविथि पूजा मंत्र का पाठ किया जाता है।