नृसिंह जयंती व्रत वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को किया जाता है। इस दिन भगवान श्री नृसिंह ने खंभे को चीरकर भक्त प्रह्लाद की रक्षार्थ अवतार लिया था।
* इस दिन व्रती को दिनभर उपवास रहना चाहिए।
* सामर्थ्य अनुसार भू, गौ, तिल, स्वर्ण तथा वस्त्रादि का दान देना चाहिए।
* क्रोध, लोभ, मोह, झूठ, कुसंग तथा पापाचार का त्याग करना चाहिए।
* इस दिन व्रती को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
नृसिंह जयंती का व्रत फल
* व्रत करने वाला व्यक्ति लौकिक दुःखों से मुक्त हो जाता है।
* भगवान नृसिंह अपने भक्त की रक्षा करते हैं।
* व्रती को इच्छानुसार धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
भगवान नृसिंह विष्णुजी के सबसे उग्र अवतार माने जाते है। नृसिंह जयंती पर उनके बीज मंत्र के जप से शत्रुओं का नाश होकर कोर्ट-कचहरी के मुकदमे आदि में विजय प्राप्त होती है। इससे शत्रु शमन होकर पराक्रम में बढ़ोतरी होती है तथा आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है।
नृसिंह मंत्र से तंत्र-मंत्र बाधा, भूत पिशाच भय, अकाल मृत्यु का डर, असाध्य रोग आदि से छुटकारा मिलता है तथा जीवन में शांति की प्राप्ति हो जाती है।
जीवन में सर्वसिद्धि प्राप्ति के लिए 40 दिन में पांच लाख जप पूर्ण करें।
* उपरोक्त मंत्र का प्रतिदिन रात्रि काल में जाप करें।
* मंत्र जप के दौरान नित्य देसी घी का दीपक जलाएं।
* 2 लड्डू, 2 लौंग, 2 मीठे पान और 1 नारियल भगवान नृसिंह को पहले और आखरी दिन भेट चढ़ाएं।
* अगले दिन विष्णु मंदिर में उपरोक्त सामग्री चढ़ा दीजिए।
* अंतिम दिन दशांश हवन करें।
* अगर दशांश हवन संभव ना हो तो पचास हजार मंत्र संख्या और जपे।
अगर आप कई संकटों से घिरे हुए हैं या संकटों का सामना कर रहे हैं, तो भगवान विष्णु या श्री नृसिंह प्रतिमा की पूजा करके संकटमोचन नृसिंह मंत्र का स्मरण करें -
* संकटमोचन नृसिंह मंत्र
ध्याये न्नृसिंहं तरुणार्कनेत्रं सिताम्बुजातं ज्वलिताग्रिवक्त्रम्।
अनादिमध्यान्तमजं पुराणं परात्परेशं जगतां निधानम्।।