दक्षिण भारत में ओणम का प्रसिद्ध त्योहार हिन्दू कैलेंडर के अनुसार भाद्र माह की शुक्ल त्रयोदशी को मनाया जाता है। जबकि मलयालम कैलेंडर के अनुसार चिंगम माह में यह त्योहार मनाया जाता है जो कि प्रथम माह है। खासकर यह त्योहार हस्त नक्षत्र से शुरू होकर श्रवण नक्षत्र तक चलता है। इस बार यह पर्व 12 अगस्त 2021 से प्रारंभ होकर 23 अगस्त तक लेगा। 21 अगस्त को ओणम का मुख्य पर्व है। आओ जानते हैं ओणम क र 25 खास बातें।
1. कश्यप ऋषि की पत्नी दिति के दो प्रमुख पुत्र हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष थे। हिरण्यकश्यप के 4 पुत्र थे- अनुहल्लाद, हल्लाद, भक्त प्रह्लाद और संहल्लाद। प्रह्लाद के कुल में विरोचन के पुत्र राजा बलि का जन्म हुआ।
1. राजा बलि का राज्य संपूर्ण दक्षिण भारत में था। उन्होंने महाबलीपुरम को अपनी राजधानी बनाया था।
2. आज भी केरल में ओणम का पर्व राजा बलि की याद में ही मनाया जाता है। राजा बली को केरल में मावेली कहा जाता है। यह संस्कृत शब्द महाबली का तद्भव रूप है। इसे कालांतर में बलि लिखा गया जिसकी वर्तनी सही नहीं जान पड़ती।
3. राजा बलि ने जब अपनी ताकत के बल पर त्रैलोक्य पर कब्जा कर लिया था तब देवताओं की विनती पर भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांग ली थी। राजा बलि ने अपना वचन निभाया तब प्रभु ने प्रसन्न होकर उन्हें पाताल लोक का राजा बनाकर अमरताका वरदान दिया था।
4. ओणम का पर्व दानवीर असुर राजा बलि के आगमन के सम्मान में मनाया जाता है।
5. अजर-अमर राजा बलि इस दिन पाताल लोक से आकर नगर भ्रमण करते हैं। राजा बलि ओणम के दिन अपनी प्रजा को देखने आते हैं। राजा बलि की राजधानी महाबलीपुरम थी।
6. यह पर्व 10 दिन तक चलता है। खासकर केरल में 10 दिन तक इस उत्सव की धूम रहती है।
7. इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार, भगवान गणेश की और श्रावण देवता की पूजा होती है।
8. जिस तरह दशहरे में दस दिन पहले रामलीलाओं का आयोजन होता है या दीपावली के पहले घर की रंगाई-पुताई के साथ फूलों से सजावट होती रही है। उसी तरह ओणम के प्रारंभ होने से पूर्व घर की साफ सफाई की जाती है।
9. ओणम से दस दिन पहले घरों को फूलों से सजाने का कार्य चलता रहता है। घर को अच्छे से सजाकर बाहर रंगोली बनाते हैं। खासकर घर में कमरे को साफ करके एक फूल-गृह बनाया जाता है जिसमें गोलाकार रुप में फूल सजाए जाते हैं। प्रतिदिन 8 दिन तक सजावट का यह कार्यक्रम चलता है।
10. इस दौरान राजा बलि की मिट्टी की बनी त्रिकोणात्मक मूर्ति पर अलग-अलग फूलों से चित्र बनाते हैं। प्रथम दिन फूलों से जितने गोलाकार वृत बनाई जाती हैं दसवें दिन तक उसके दसवें गुने तक गोलाकार में फूलों के वृत रचे जाते हैं।
11. नौवें दिन हर घर में भगवान विष्णु की मूर्ति की पूजा होती है तथा परिवार की महिलाएं इसके इर्द-गिर्द नाचती हुई तालियां बजाती हैं। वामन अवतार के गीत गाते हैं।
12. रात को गणेशजी और श्रावण देवता की मूर्ति की पूजा होती है। मूर्तियों के सामने मंगलदीप जलाए जाते हैं। पूजा-अर्चना के बाद मूर्ति विसर्जन किया जाता है।
13. इस दौरान पापड़ और केले के चिप्स बनाए जाते हैं। इसके अलावा 'पचड़ी–पचड़ी काल्लम, ओल्लम, दाव, घी, सांभर' भी बनाया जाता है। दूध, नारियल मिलाकर खास तरह की खीर बनाते हैं।
14. कहते हैं कि केरल में अठारह प्रकार के दुग्ध पकवान बनते हैं।
15. कई प्रकार की दालें जैसे मूंग व चना के आटे का प्रयोग भी विभिन्न व्यंजनों में किया जाता है। भोजन को कदली के पत्तों में परोसा जाता है।
16. ओणम का पर्व उत्तर भारत में नहीं मनाया जाता है। यह दक्षिण भारत के केरल राज्य का प्रमुख त्योहार है।
17. ओणम के अंतिम दिन थिरुवोनम होता है। यह मुख्य त्योहार है। इस दिन उत्सव का माहौल होता है।
18. ओणम पर्व का किसानों से भी गहरा संबंध है। किसान अपनी फसलों की सुरक्षा और अच्छी उपज के लिए श्रावण देवता और पुष्पदेवी की आराधना करते हैं।
19. इस पर्व के दौरान एक पारंपरिक भोज का आयोजन भी किया जाता है। इस सामूहिक भोज में मीठे व्यंजनों के अलावा नौ स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हैं जिनमें पचड़ी काल्लम, ओल्लम, दाव, घी, सांभर, केले और पापड़ के चिप्स मुख्य रूप से बनाए जाते हैं।
20. इस दौरान सभी लोग अपने रिश्तेदारों, परिवार वालों, दोस्तों और परिचितों को इस पर्व की शुभकामनाएं देते हैं।
21. ओणम दक्षिण भारत के सबसे रंगारंग त्योहारों में से एक है। इस दिन केरल सरकार इसे पर्यटक त्योहार के रूप में भी मनाती है।
22. ओणम पर्व के दौरान महाभोज जैसे कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है।
23. इस दौरान नाव रेस, नृत्य, संगीत, सर्प नौका दौड़ के साथ कथकली नृत्य और गाना भी होता है।
24. घरों में पूजा करने के बाद ओणम की पूजा मंदिरों में भी की जाती है।
25. 10 दिन के 10 प्रमुख कार्य इस प्रका होते है। पहले दिन अथं, जिसमें महाबली पाताल से केरल जाने की तैयारी करते हैं। दूसरे दिन चिथिरा, जिसमें फूलों का कालीन पूक्कलम बनाते हैं। तीसरे दिन चोधी, जिसमें पूक्कलम में 45 तरह के फूलों से अगली लेयर बनाते हैं। चौथे दिन विशाकम, जिसमें हर तरह की प्रतियोगिताएं प्रारंभ होती है। पांचवें दिन अनिज्हम, जिसमें नाव रेस होती है। छठे दिन थ्रिकेता, इस दिन छुट्टियां प्रारंभ होती है और लोग मजे करते हैं। सातवें दिन मूलम, इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा होती है। आठवें दिन पूरादम, इस दिन महाबली और वामन भगवान की प्रतिमाएं स्थापित करते हैं। नौवें दिन उठ्रादोम, इस दिनद महाबली केरल में प्रवेश करते हैं और दसवें दिन थिरूवोनम, यह मुख्य त्योहार होता है।