अमावस्या माह में एक बार ही आती है। मतलब यह कि वर्ष में 12 अमावस्याएं होती हैं। शास्त्रों में अमावस्या तिथि का स्वामी पितृदेव को माना जाता है। मतलब यह कि यह अमावस्याएं श्राद्ध, दान और स्नान हेतु होती है।
प्रमुख अमावस्याएं : सोमवती अमावस्या, भौमवती अमावस्या, मौनी अमावस्या, शनि अमावस्या, हरियाली अमावस्या, दिवाली अमावस्या, सर्वपितृ अमावस्या आदि मुख्य अमावस्या होती है।
इस बार फाल्गुन माह में अमावस्या रविवार को आ रही है। शास्त्रों में फाल्गुन माह की अमावस्या का खास महत्व बताया गया है।
1. इस दिन संगम पर स्नान करने का महत्व है। कहते हैं कि इस दिन देवताओं का वास संगम तट पर होता है। संगम नहीं जा सकते हैं तो किसी पवित्र नदी में स्नान करें।
2. इस अमावस्या को पितृदेव अर्यमा, शिव और शनिदेव का दिन माना जाता है। अत: इस दिन तीनों ही देवों की पूजा आराधना करने से संकट कटते हैं।
3. इस दिन गरीबों को दान देने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
4. यदि किसी भी प्रकार की आर्थिक समस्या है तो इस दिन भगवान शंकर को खिर का भोग लगाएं।
5. फाल्गुन मास की अमावस्या पर पितृ शांति और काल सर्प दोष की शांति पूजा का भी विधान है। इस दिन व्रत रखा जाता है।