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जानिए पुष्य नक्षत्र की विशेष 6 बातें

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हिन्दू धर्म में कई व्रत, पर्व और त्योहार हैं, और सबका अपना महत्व है। इन सभी पर्वों में मुहूर्त  का का विशेष महत्व होता है। वैसे तो हर किसी शुभ कार्य के लिए अलग-अलग मुहूर्त  होते हैं, लेकिन कुछ मुहूर्त  हर कार्य के लिए विशेष होते हैं। इन्हीं में एक है, पुष्य नक्षत्र जिसे खरीदारी से लेकर अन्य शुभ कार्यों तक महामुहूर्त  का स्थान प्राप्त है। जानिए पुष्य नक्षत्र का महत्व - 
 
1 दीपावली के पहले आने वाला पुष्य नक्षत्र विशेष होता है, क्योंकि यह मुहूर्त  खास तौर से खरीदारी के लिए शुभ माना जाता है। दीपावली का समय लोग घर सजाने की चीजें, सोना, चांदी एवं अन्य सामान की सबसे ज्यादा खरीदी करते हैं, जो पुष्य नक्षत्र आने से और भी शुभ हो जाती है। 

2  पुष्य नक्षत्र को खरीदारी के लिए विशेष मुहूर्त माना जाता है, क्योंकि यह नक्षत्र स्थाई माना जाता है और इस मुहूर्त में खरीदी गई कोई भी वस्तु अधिक समय तक उपयोगी और अक्षय होती है। इसके अलावा इस मुहूर्त में खरीदी गई वस्तु हमेशा शुभ फल प्रदान करती है।
 
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3  पुष्य नक्षत्र स्वास्थ्य और सेहत की दृष्ट‍ि से भी विशेष महत्व रखता है। पुष्य नक्षत्र पर शुभ ग्रहों का प्रभाव होने पर यह सेहत संबंधी कई समस्याओं को समाप्त करने में सक्षम होता है। शारीरिक कष्ट निवारण के लिए यह मुहूर्त शुभ होता है।

 पुष्य नक्षत्र में खास तौर से स्वर्ण की खरीदी का महत्व होता है। लोग इस दिन स्वर्ण की खरीदी भी इसलिए करते हैं, क्योंकि इसे शुद्ध, पवित्र और अक्षय धातु के रूप में माना जाता है। और पुष्य नक्षत्र पर इसकी खरीदी अत्यधिक शुभ होती है।

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5  पुष्य नक्षत्र के देवता बृहस्पति देव माने गए हैं और शनि को इस नक्षत्र का दिशा प्रतिनिधि‍ माना जाता है। चूंकि बृहस्पति शुभता, बुद्धि‍मत्ता और ज्ञान का प्रतीक हैं, तथा शनि स्थायि‍त्व का, इसलिए इन दोनों का योग मिलकर पुष्य नक्षत्र को शुभ और चिर स्थायी बना देता है। 

6  पुष्य नक्षत्र को सभी नक्षत्रों का राजा भी कहा जाता है। ऋगवेद में पुष्य नक्षत्र को मंगलकर्ता भी कहा गया है। इसके अलावा यह समृद्धिदायक, शुभ फल प्रदान करने वाला नक्षत्र माना गया है 

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