Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

राधाष्टमी : कैसे हुई थी राधा जी की मृत्यु

हमें फॉलो करें राधाष्टमी : कैसे हुई थी राधा जी की मृत्यु

अनिरुद्ध जोशी

पुराणों के अनुसार अष्टमी तिथि को कृष्ण पक्ष में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था और इसी तिथि को शुक्ल पक्ष में देवी राधा का जन्म भी हुआ था। बरसाने में राधाष्टमी का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। राधाष्टमी का पर्व जन्माष्टमी के 15 दिन बाद भद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। 
 
बरसाने की गोप वृषभानु और कीर्ति की पुत्री राधा तो भगवान श्रीकृष्ण की प्रेमिका थीं। बरसाने के अलावा राधा का अधिकतर समय वृंदावन में ही बिता।
 
राधा ने जब कृष्ण को देखा तो वह बेसुध हो गई थी। कहते हैं पहली बार उन्होंने श्रीकृष्‍ण को तब देखा था जब उनकी मां यशोदा ने उन्हें ओखले से बांध दिया था। कुछ लोग कहते हैं कि वह पहली बार गोकुल अपने पिता वृषभानुजी के साथ आई थी तब श्रीकृष्ण को पहली बार देखा था। कुछ विद्वानों के अनुसार संकेत तीर्थ पर पहली बार दोनों की मुलाकात हुई थी। तभी से दोनों में प्रेम हो गया था।
 
श्रीकृष्‍ण और राधा विवाह करना चाहते थे परंतु यशोदा और गर्गमुनि के समझने पर यह विवाह नहीं हो सका। फिर श्रीकृष्ण गोकुल, वृंदावन को हमेशा के लिए छोड़कर मुथरा चले गए और मथुरा से द्वारिका। परंतु इस दौरान भी वे कभी राधा को नहीं भूले और राधा भी श्रीकृष्ण को कभी नहीं भूली। 
 
कहते हैं कि जब कृष्ण वृंदावन छोड़कर मथुरा चले गए, तब राधा के लिए उन्हें देखना और उनसे मिलना और दुर्लभ हो गया। कहते हैं कि राधा और कृष्ण दोनों का पुनर्मिलन कुरुक्षेत्र में बताया जाता है, जहां सूर्यग्रहण के अवसर पर द्वारिका से कृष्ण और वृंदावन से नंद के साथ राधा आई थीं। राधा सिर्फ कृष्ण को देखने और उनसे मिलने ही नंद के साथ गई थीं। इसका जिक्र पुराणों में मिलता है।
 
कहते हैं कि इसके बाद राधा और श्रीकृष्ण की अंतिम मुलाकात द्वारिका में हुई थी। सारे कर्तव्यों से मुक्त होने के बाद राधा आखिरी बार अपने प्रियतम कृष्ण से मिलने गईं। जब वे द्वारका पहुंचीं तो उन्होंने कृष्ण के महल और उनकी 8 पत्नियों को देखा। जब कृष्ण ने राधा को देखा तो वे बहुत प्रसन्न हुए। तब राधा के अनुरोध पर कृष्ण ने उन्हें महल में एक देविका के पद पर नियुक्त कर दिया।
 
कहते हैं कि वहीं पर राधा महल से जुड़े कार्य देखती थीं और मौका मिलते ही वे कृष्ण के दर्शन कर लेती थीं। एक दिन उदास होकर राधा ने महल से दूर जाना तय किया। कहते हैं कि राधा एक जंगल के गांव में में रहने लगीं। धीरे-धीरे समय बीता और राधा बिलकुल अकेली और कमजोर हो गईं।

उस वक्त उन्हें भगवान श्रीकृष्ण की याद सताने लगी। आखिरी समय में भगवान श्रीकृष्ण उनके सामने आ गए। भगवान श्रीकृष्ण ने राधा से कहा कि वे उनसे कुछ मांग लें, लेकिन राधा ने मना कर दिया।

कृष्ण के दोबारा अनुरोध करने पर राधा ने कहा कि वे आखिरी बार उन्हें बांसुरी बजाते देखना और सुनना चाहती हैं। श्रीकृष्ण ने बांसुरी ली और बेहद सुरीली धुन में बजाने लगे। श्रीकृष्ण ने दिन-रात बांसुरी बजाई। बांसुरी की धुन सुनते-सुनते एक दिन राधा ने अपने शरीर का त्याग कर दिया।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

जब श्रीकृष्ण ने नहीं किया राधा से विवाह तो उनके पति कौन थे?