शनि अमावस्या पर षडाष्टक योग
4 मई को शनैश्चरी अमावस्या है। शनैश्चरी अमावस्या पर वक्री शनि केतु के साथ मंगल से षडाष्टक योग शुभ नहीं है।
सोमवार, मंगलवार अथवा शनिवार को अमावस्या आती है तो यह किसी पर्व से कम नहीं होगा। व्यक्ति के जीवन में इस दिन का दान खास महत्व रहता है।
इस वर्ष यानी 2019 को पूरे साल में तीन शनैश्चरी अमावस्या का विशेष संयोग बन रहा है। पहली शनैश्चरी अमावस्या जनवरी को थी, दूसरी शनैश्चरी अमावस्या चार मई को है। वैशाख माह और शनि का दिन होने के कारण इसकी महत्ता कई गुना ज्यादा बढ़ जाती है। इस शनि अमावस्या पर ग्रह नक्षत्रों का संयोग बन रहा है।
इस समय शनि महाराज वक्री होकर मंगल से षडाष्टक कर रहे हैं और केतु के साथ बैठे हैं। राहू के साथ समसप्तक कर रहे हैं यह विध्वंसक योग है। कई देशों में भूकंप, बाढ से तबाही के संकेत मिल रहे है। अग्निकांड और प्राकृतिक प्रकोप से जन-धन की हानि तो बड़े राजनीतिक दलों की प्रतिष्ठा दांव पर लगेगी। राजनीति में नए समीकरण भी बनेंगे।
अगर आपके ग्रह में शनि का कुछ नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है तो शनि अमावस्या के दिन दोपहर के समय विशेष पूजा करने से शनि की पीड़ा शांत होती है। इस दिन अगर सच्ची आस्था और लगन से शनि की उपासना करें तो व्यवसाय को चार चांद लग सकते हैं। इस दिन उपासक कच्ची घानी अथवा तिल के तेल का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करें तो खासा लाभ हो सकता है।
क्या करें इस दिन :
सुबह जल्दी उठकर नहा लें। इसके बाद तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें तिल मिला लें और पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं।
शनि मंदिर जाकर शनिदेव को तेल चढ़ाएं।
दिन में तेल और लोहे की चीजों का दान करें।
दिनभर व्रत रखकर शाम को शनिदेव की पूजा करें।
शनि मंदिर जाएं या घर की पश्चिम दिशा में शनिदेव के लिए तेल का दीपक लगाएं।
शनिदेव की पूजा के समय ॐ शं शनैश्चराय नमः या ‘‘प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः मंत्र बोलें।
वर्तमान में शनि की साढ़ेसाती धनु, वृश्चिक और मकर राशि पर चल रही है।
वहीं शनि की ढैया वृष और कन्या राशि पर है। शनिदेव की पूजा और उपाय से इन राशि वालों की परेशानियां कम हो जाएंगी।