धार्मिक ग्रंथों में शीतला अष्टमी (Sheetala Ashtami) का व्रत बहुत महत्व का माना गया है। जिस घर में शीतला माता का पूजन पूरे विधि-विधान से किया जाता है, उस घर में हमेशा सुख-शांति और धन की बरकत बनी रहती है तथा वहां के लोग बीमार भी कम ही पड़ते हैं। शीतला अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर माता शीतला का ध्यान करें। आइए जानते हैं शीतला माता का पूजन की आसान विधि-
पूजा विधि : sheetla mata puja vidhi
'वन्देऽहं शीतलां देवीं रासभस्थां दिगम्बरराम्, मार्जनीकलशोपेतां शूर्पालंकृतमस्तकाम्।'
अर्थात्- मैं गर्दभ पर विराजमान, दिगंबरा, हाथ में झाडू तथा कलश धारण करने वाली, सूप से अलंकृत मस्तक वाली भगवती शीतला की वंदना करता/करती हूं...
- शीतला अष्टमी के दिन व्रती को प्रातः कर्मों से निवृत्त होकर स्वच्छ व शीतल जल से स्नान करना चाहिए।
- स्नान के पश्चात निम्न मंत्र से संकल्प लेना चाहिए-
'मम गेहे शीतलारोगजनितोपद्रव प्रशमन पूर्वकायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धिये शीतलाष्टमी व्रतं करिष्ये'
- संकल्प के पश्चात विधि-विधान तथा सुगंधयुक्त गंध व पुष्प आदि से माता शीतला का पूजन करें।
- इस दिन महिलाएं मीठे चावल, हल्दी, चने की दाल और लोटे में पानी लेकर पूजा करती हैं।
- पूजन का मंत्र- 'हृं श्रीं शीतलायै नम:' का निरंतर उच्चारण करें।
- माता शीतला को जल अर्पित करें और उसकी कुछ बूंदे अपने ऊपर भी डालें।
- इसके पश्चात ठंडे भोजन का भोग मां शीतला को अर्पित करें।
- तत्पश्चात शीतला स्तोत्र का पाठ करें और कथा सुनें।
- रोगों को दूर करने वाली मां शीतला का वास वट वृक्ष में माना जाता है, अतः इस दिन वट पूजन भी भी करना चाहिए।
- शीतला माता की कथा पढ़ें तथा मंत्र- 'ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नम:' का जाप करें।
नोट : शीतला माता पूजन के दिन माता को जल चढ़ाने के बाद जो जल बहता है, उसे घर में छिड़कने से घर की शुद्धि होती है तथा इसे आंखों पर लगाना बहुत लाभदायी होता है।
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