Shukra pradosh vrat ke upay: 22 मार्च 2024 को शुक्र प्रदोष का व्रत रखा जाएगा। शुक्रवार को आने वाले प्रदोष को भ्रुगुवारा प्रदोष कहा जाता है। अर्थात जिस शुक्रवार को त्रयोदशी तिथि हो वह भ्रुगुवारा प्रदोष कहलाती है। जीवन में सौभाग्य की वृद्धि हेतु यह प्रदोष किया जाता है। सौभाग्य है तो धन और संपदा स्वत: ही मिल जाती है। आओ जानते हैं कि इस दिन कौनसे 5 उपाय करें कि सभी समस्याओं का हो जाए अंत।
1. शिव पूजा : हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, प्रतिमाह आने वाला प्रदोष व्रत भगवान शिव की कृपा पाने का सबसे बड़ा दिन होता है। इस दिन शाम को प्रदोष काल में भोलेनाथ की पूजा का विशेष महत्व होता है। प्रदोष काल में पूजा करने से भगवान शिव जी जल्दी प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं।
2. पारद शिवलिंग की पूजा : प्रदोष के दिन यदि पारद शिवलिंग की पूजा अर्चना करते हैं तो जीवन में सुखशांति और सौभाग्य प्राप्त होगा। पारद शिवलिंग से धन-धान्य, आरोग्य, पद-प्रतिष्ठा, सुख आदि भी प्राप्त होते हैं। पारद शिवलिंग की भक्तिभाव से पूजा-अर्चना करने से संतानहीन दंपति को भी संतानरत्न की प्राप्ति हो जाती है। 12 ज्योतिर्लिंग के पूजन से जितना पुण्यकाल प्राप्त होता है उतना पुण्य प्रदोष पर पारद शिवलिंग के दर्शन मात्र से मिल जाता है।
3. प्रदोष कथा : इस दिन प्रदोष से जुड़ी कथा सुने। प्रदोष को प्रदोष कहने के पीछे एक कथा जुड़ी हुई है। संक्षेप में यह कि चंद्र को क्षय रोग था, जिसके चलते उन्हें मृत्युतुल्य कष्टों हो रहा था। भगवान शिव ने उस दोष का निवारण कर उन्हें त्रयोदशी के दिन पुन:जीवन प्रदान किया था अत: इसीलिए इस दिन को प्रदोष कहा जाने लगा।
4. एक लोटा जल सभी समस्याओं का हल : पंडित प्रदीप मिश्रा जी कहते हैं कि शुक्रवार के दिन एक तांबे के लोटे में जल भरें। एक आंकड़े का फूल लें। दोनों को लेकर शिव मंदिर में जाएं और शिवलिंग पर सबसे पहले तांबे के लोटे का जल अर्पित करें। जल अर्पित करते समय श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का जप करें। इसके बाद आंकड़े के फूल को जलाधारी में अशोक सुंदरी वाले स्थान पर अर्पित कर देना हैं।
5. सभी समस्याओं से मिलेगा छुटकारा : पंडित प्रदीप मिश्रा जी कहते हैं कि कई बार ऐसा होता है कि एक दुख से छुटकारा मिला कि दूसरा खड़ा हो जाता है। एक समस्या से मुक्ति मिली नहीं कि दूसरी सामने आ जाती है। ऐसे में प्रदोष के दिन प्रदोष काल में 2 जगहों पर दीपक लगाना प्रारंभ कर दें। पहला दीया बेलपत्र के वृक्ष के नीचे और दूसरे दीया अपने दरवाजे की चौखट के बाहर उस ओर जब हम घर में प्रवेश करें तो राइट हैंड पर लगाएं। दोनों ही जगह शिवजी से प्रार्थना करें कि हे नंदीश्वर आप जब भी प्रदोष काल में भ्रमण पर निकले तो मैंने भी आपके लिए द्वार सजाया है। थोड़ी दया मेरे घर की चौखट पर भी कर देना।