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सोमवती अमावस्या : मंत्र-जप और अर्घ्य का महत्व

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भगवान सूर्य नारायण को दे अर्घ्य
 


 
शास्त्रों में वर्णित है कि अमावस्या के दिन नदी, सरोवर के जल में स्नान कर सूर्य को गायत्री मंत्र उच्चारण करते हुए अर्घ्य देना चाहिए। यह क्रिया आपको अमोघ फल प्रदान करेगी। लेकिन जो लोग घर पर स्नान करके अनुष्ठान करना चाहते हैं, उन्हें पानी में थोड़ा-सा गंगाजल मिलाकर तीर्थों का आह्वान करते हुए स्नान करना चाहिए।
 
* सोमवती अमावस्या के दिन सूर्य नारायण को अर्घ्य देने से गरीबी और दरिद्रता दूर होगी।
 
* सोमवती अमावस्या के दिन 108 बार तुलसी परिक्रमा करें। 
 
* जिन लोगों का चंद्रमा कमजोर है, वह गाय को दही और चावल खिलाएं तो मानसिक शांति के साथ-साथ पुण्य की प्राप्ति होगी।
 
* इसके अलावा मंत्र जाप, सिद्धि साधना एवं दान कर मौन व्रत को धारण करने से पुण्य प्राप्ति और भगवान का आशीर्वाद मिलता है।
 
अमावस्या के दिन इस मंत्र के जप से विशेष उपलब्धि प्राप्त होगी। साथ ही स्नान दान का पूरा पुण्य भी मिलेगा।
 

* गायत्री मंत्र:- ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्। 
 
* ॥ अयोध्या, मथुरा, माया, काशी कांचीअवन्तिकापुरी, द्वारवती ज्ञेयाः सप्तैता मोक्ष दायिका॥
॥ गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती, नर्मदा सिंधु कावेरी जलेस्मिनेसंनिधि कुरू॥


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