31 जनवरी और 1 फरवरी को संकट चौथ का शुभ व्रत है। इस दिन विशेष रूप से 7 धान को तिल के साथ मिलाकर सवा किलो का लड्डू बनाया जाता है और उसे बलि की तरह काटा जाता है...कुछ जगहों पर थाली में तिल और गुड का कोई पशु बनाकर काटा जाता है...
इसके पीछे मान्यता है कि संकट चतुर्थी की कथा में जिस प्रकार ब्राहमणी का बालक बलि देने के बाद भी श्री गणेश जीकी अनुकम्पा से सुरक्षित बचा रहा वैसे ही हमारी संतान भी हर तरह के संकट से बची रहे...और उस कथा की स्मृति में बलि की परम्परा भी बनी रहे...