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आषाढ़ मास की कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी आज, जानें पूजा के शुभ मुहूर्त और विधि

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WD Feature Desk

, मंगलवार, 25 जून 2024 (10:18 IST)
Sankashti ganesh chaturthi
Highlights 
 
* आषाढ़ मास की चतुर्थी। 
* कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी के बारे में जानें।  
* कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी के मुहूर्त और पूजन की विधि। 
Krishnapingal Sankashti Chaturthi : आज यानि 25 जून 2024, दिन मंगलवार को कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी मनाई जा रही हैं।  धार्मिक शास्त्रों के अनुसार हर महीने दो  चतुर्थी पड़ती हैं। एक कृष्‍ण पक्ष और दूसरी शुक्ल पक्ष की चतुर्थी। कृष्‍ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी तथा शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायकी चतुर्थी कहते हैं।
 
इस बार आषाढ़ महीने की कृष्‍ण पक्ष की कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी मनाई जा रही हैं। यह चतुर्थी विद्या, बुद्धि, विवेक, धन, यश, प्रसिद्धि, समृद्धि आदि देनेवाली मानी गई हैं।  
 
आइए जानते हैं यहां पूजा के शुभ मुहूर्त और विधि के बारे में- 
 
आषाढ़ चतुर्थी पूजन मुहूर्त 2024 : Ashadh Chaturthi Puja Muhurat 2024
 
कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी मंगलवार, 25 जून 2024 को
 
* चतुर्थी तिथि का प्रारंभ- 25 जून 2024 को अलसुबह 01बजकर 23 मिनट से।  
* चतुर्थी तिथि का समापन- 25 जून 2024 को रात्रि 11 बजकर 10 मिनट पर।  
* कृष्णपिङ्गल संकष्टी के दिन चन्द्रोदय का समय- रात 10 बजकर 27 मिनट पर होगा। 
 
आज का शुभ समय : Todays auspicious time
 
ब्रह्म मुहूर्त- अलसुबह 04:05 से 04:45 तक।  
प्रातः सन्ध्या- अलसुबह 04:25 से 05:25 तक।  
अभिजित मुहूर्त- अपराह्न 11:56 से 12:52 तक।  
विजय मुहूर्त- दोपहर 02:43 से 03:39 तक।  
गोधूलि मुहूर्त- शाम 07:21 से 07:42 तक।  
सायाह्न सन्ध्या- शाम 07:23 से 08:23 तक।  
अमृत काल- 26 जून को अलसुबह 03:19 से 04:49 तक। 
निशिता मुहूर्त- 26 जून को रात 12:04 से 12:44 तक।  
 
पूजा विधि :Krishnapingala Chaturthi Puja Vidhi 
 
- आषाढ़ कृष्ण चतुर्थी के दिन प्रात: स्नानादि के पश्‍चात एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर भगवान श्री गणेश की मूर्ति की स्थापना करें।
- चांदी, पीतल, तांबे या मिट्टी के गणेश की मूर्ति नहीं है तो आप तस्वीर से काम चलाएं। 
- भगवान श्री गणेश को पीले वस्त्र चढ़ाएं। 
- श्री गणेश प्रतिमा को लाल रोली, कलावा, फूल, हल्दी, दूर्वा, चंदन, धूप, घी आदि पूजन सामग्री अर्पित करें।
- श्री गणेश को फूलों की माला पहनाएं।
- इसके बाद श्री गणेश को 21 दूर्वा की गांठ अर्पित करें। 
- भगवान श्री गणेश के मंत्रों का जाप करें।
- इसके बाद पूरा दिन निर्जला व्रत रखें। 
- मोदक का प्रसाद बनाएं तथा भगवान श्री गणेश को मोदक, मोतीचूर के लड्‍डू, केला, नारियल आदि का भोग लगाएं। 
- चतुर्थी के दिन गरीबों को खाने-पीने की चीजों का दान दें।
- आषाढ़ मास के श्री गणेश चतुर्थी की कथा पढ़ें।  
- पूजा के बाद मंत्र 'ॐ गं गणपतये नम:' का जाप करें। तथा श्री गणेश अथर्वशीर्ष, गणेश चालीसा, श्री गणेश नामावली का पाठ करें।
- इस दिन में अथवा गोधूली बेला में श्री गणेश दर्शन अवश्य करें। 
- पूजन के पश्चात् आरती करके भूल-चूक के लिए क्षमा मांगें।
- रात्रि चंद्रमा के पूजन के बाद श्री गणेश का भी पूजन करें और मोदक या लड्‍डू का भोग अर्पित करें।  
- फिर इसी भोग से व्रत खोलें। 
- मान्यतानुसार चतुर्थी व्रत सभी कष्टों को दूर करने वाला तथा सभी सांसारिक सुखों की प्राप्ति देने के साथ ही मनोकामना पूर्ण करने वाला माना गया है। 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

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