Vamana Dwadashi 2020 : कैसे मनाएं वामन द्वादशी पर्व, पढ़ें महत्व एवं पूजा विधि
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार वामन द्वादशी पर्व वामन जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व 30 अगस्त को मनाया जाएगा, पौराणिक मान्यता के अनुसार यह व्रत रखने से पूर्व में हुए ज्ञात-अज्ञात पापों का नाश हो जाता है। इस दिन खासतौर में श्रीकृष्ण भगवान और धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
इस दिन भगवान वामन की पूजा और आराधना के साथ ही व्रत करने और कथा सुनने का महत्व है। देवी अदिति के यहां भगवान वामन का अवतार हुआ था। आइए जानते हैं इस दिन कैसे करें पूजन-
कैसे मनाएं पर्व, ऐसे करें पूजा :-
1. इस दिन भगवान वामन की मूर्ति या चित्र की पूजा करें।
2. मूर्ति है तो दक्षिणावर्ती शंख में गाय का दूध लेकर अभिषेक करें।
3. यदि चित्र है तो सामान्य पूजा करें।
4. इस दिन भगवान वामन का पूजन करने के बाद कथा सुनें और बाद में आरती करें।
5. अंत में चावल, दही और मिश्री का दान कर किसी गरीब या ब्राह्मण को भोजन कराएं।
6. अगर यदि किसी पंडित से पूजा करा रहे हैं तो विधि-विधान से पूजा के साथ ही व्रत भी रखा जाता है।
7. वामन मूर्ति के समीप 52 पेड़े और 52 दक्षिणा रखकर पूजा करते हैं। पंचामृत भोग लगाना भी श्रेष्ठ है।
8. भगवान् वामन को भोग लगाकर सकोरों में चीनी, दही, चावल, शर्बत तथा दक्षिणा पंडित को दान करने के बाद वामन द्वादशी का व्रत पूरा करते हैं।
9. व्रत उद्यापन में पंडित को 1 माला, 2 गौ मुखी मंडल, छाता, आसन, गीता, लाठी, फल, खड़ाऊं तथा दक्षिणा देकर इस पर्व को संपन्न करना लाभदायी रहेगा।
10 वासुदेव द्वादशी के दिन भगवान को हाथ का पंखा, फल और पुष्प विशेष रूप से चढ़ाने चाहिए।
11. इस दिन भगवान विष्णु के सहस्त्रनाम जपने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
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