Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

आज विश्वकर्मा प्रकटोत्सव : 3 कथाएं उनके जीवन से जुड़ी आपको पता होना चाहिए

हमें फॉलो करें आज विश्वकर्मा प्रकटोत्सव : 3 कथाएं उनके जीवन से जुड़ी आपको पता होना चाहिए
विश्वकर्मा एक महान ऋषि और ब्रह्मज्ञानी थे। ऋग्वेद में उनका उल्लेख मिलता है। कहते हैं कि उन्होंने ही देवताओं के घर, नगर, अस्त्र-शस्त्र आदि का निर्माण किया था। वे महान शिल्पकार थे। आओ जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी 3 लोककथाएं। विश्‍वकर्मा समाज के मतानुसार माघ शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को उनकी जयंती आती है।
 
माघे शुकले त्रयोदश्यां दिवापुष्पे पुनर्वसौ।
अष्टा र्विशति में जातो विश्‍वकर्मा भवनि च॥- वशिष्ठ पुराण
webdunia
 
1. विश्‍वकर्मा का जन्म :ब्रह्मा के पुत्र धर्म तथा धर्म के पुत्र वास्तुदेव हुए। धर्म की वस्तु नामक पत्नी से उत्पन्न वास्तु सातवें पुत्र थे, जो शिल्पशास्त्र के आदि प्रवर्तक थे। उन्हीं वास्तुदेव की अंगिरसी नामक पत्नी से विश्वकर्मा उत्पन्न हुए थे। स्कंद पुराण के अनुसार धर्म ऋषि के आठवें पुत्र प्रभास का विवाह देव गुरु बृहस्पति की बहन भुवना ब्रह्मवादिनी से हुआ। भगवान विश्वकर्मा का जन्म इन्हीं की कोख से हुआ। महाभारत आदिपर्व अध्याय 16 श्लोक 27 एवं 28 में भी इसका स्पष्ट उल्लेख मिलता है। वराह पुराण के अ.56 में उल्लेख मिलता है कि सब लोगों के उपकारार्थ ब्रह्मा परमेश्वर ने बुद्धि से विचारकर विश्वकर्मा को पृथ्वी पर उत्पन्न किया।
 
2. विश्वकर्मा की पुत्रियां : विश्‍वकर्मा के पुत्रों से उत्पन्न हुआ महान कुल ब्राह्मण वर्ग में आता है। राजा प्रियव्रत ने विश्वकर्मा की पुत्री बहिर्ष्मती से विवाह किया था जिनसे आग्नीध्र, यज्ञबाहु, मेधातिथि आदि 10 पुत्र उत्पन्न हुए। यह भी कहते हैं कि उनकी ही पुत्री रिद्धि और सिद्धि का विवाह शिवपुत्र गणेशजी से हुआ था।
 
3. विश्वकर्मा के पांच महान पुत्र : विश्वकर्मा के उनके मनु, मय, त्वष्टा, शिल्पी एवं दैवज्ञ नामक पांच पुत्र थे। ये पांचों वास्तु शिल्प की अलग-अलग विधाओं में पारंगत थे। मनु को लोहे में, मय को लकड़ी में, त्वष्टा को कांसे एवं तांबे में, शिल्पी को ईंट और दैवज्ञ को सोने-चांदी में महारात हासिल थी।
 
भगवान इन्द्रपुरी, द्वारिका, हस्तिनापुर, स्वर्गलोक, लंका, यमपुरी, वरुणपुरी, पाण्डवपुरी, सुदामापुरी, शिवमण्डलपुरी, पुष्पक विमान, विष्णु का चक्र, शंकर का त्रिशूल, यमराज का कालदण्ड, इंद्र का वज्र आदि का निर्माण किया था। उन्होंने ही देवी देवताओं के अस्त्र शस्त्र और उन्होंने ही संसार के प्रमुख औजारों का निर्माण किया था। स्कंदपुराण में उन्हें देवायतनों का सृष्टा कहा गया है। विश्वकर्मा इतने बड़े शिल्पकार थे कि उन्होंने जल पर चलने योग्य खड़ाऊ तैयार की थी।
webdunia

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

माघ पूर्णिमा पर 3 महत्वपूर्ण मंत्र से माता लक्ष्मी होंगी प्रसन्न