विश्व के आदि शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा पूजा का त्योहार 17 सितंबर 2019 मंगलवार को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था। विश्वकर्मा पूजा का पर्व कन्या संक्रांति के दिन मनाया जाता है जो इस बार 17 सितंबर को है।
भगवान विश्वकर्मा ने ही देवताओं के लिए अस्त्रों, शस्त्रों, भवनों और मंदिरों का निर्माण किया था। उन्होंने सृष्टि की रचना में भगवान ब्रह्मा की सहायता की थी। उन्हें दुनिया का पहला शिल्पकार माना जाता है। शिल्पकार खासकर इंजीनियरिंग काम में लगे लोग उन्हें अपना आराध्य मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं।
विश्कर्मा पूजा विधि :
स्नानादि करने के बाद अच्छे कपड़े पहनकर भगवान विश्कर्मा की मूर्ति या तस्वीर सामने बैठ जाएं। भगवान विश्वकर्मा की पूजा आरती करने के बाद पूजा सामग्री जैसे- अक्षत, हल्दी, फूल, पान, लौंग, सुपारी, मिठाई, फल, धूप दीप और रक्षासूत्र आदि से विधिवत पूजा करें।
भगवान विश्वकर्मा की पूजा के बाद सभी हथियारों को हल्दी चावल लगाएं। इसके बाद कलश को हल्दी चावल व रक्षासूत्र चढ़ाएं। इसके बाद पूजा मंत्रों का उच्चारण करें। पूजा संपन्न होने के बाद कार्यालय के सभी कर्मचारियों या पड़ोस के लोगों को प्रसाद वितरण करें।
भगवान विश्वकर्मा पूजा महत्व :
मान्यता है कि हर साल मशीनों और औजारों की पूजा करने से वे जल्दी खराब नहीं होते। मशीने अच्छा चलती हैं क्योंकि भगवान विश्वकर्मा की कृपा उन पर बनी रहती है। यूपी, बिहार, दिल्ली, हरियाणा, पश्चिम बंगाल में प्रमुख रूप से विश्वकर्मा पूजा की जाती है।
विश्वकर्मा पूजा शुभ मुहूर्त 2019
इस वर्ष कन्या संक्रांति के दिन विश्वकर्मा पूजा का आयोजन हो रहा है। यह एक शुभ स्थिति है। संक्रांति का पुण्य काल सुबह 7 बजकर 2 मिनट से है। इस समय पूजा आरंभ की जा सकती है।
सुबह 9 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक यमगंड रहेगा। 12 बजे से 1 बजकर 30 मिनट तक गुलिक काल है और शाम 3 बजे से 4 बजकर 30 मिनट तक राहुकाल रहेगा। इन समयों को छोड़कर कभी भी पूजा आरंभ कर सकते हैं।