कई भारतीय घरों में बुधवार से ही गुरुवारी पूजा की तैयारी शुरू हो गई। गुरुवार के दिन हर घर में मां लक्ष्मी की पूजन होगा। हर घर में मां लक्ष्मी की स्थापना कर विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाएगी। हर घर के द्वार पर दीपों से रोशनी की जाएगी।
इस वर्ष अगहन (मार्गशीर्ष मास) कृष्ण पक्ष की सप्तमी को पहला गुरुवार पड़ रहा है। पूजा की तैयारी बुधवार की शाम से ही शुरू हो गई। हर घर के मुख्य द्वार से लेकर आंगन और पूजा स्थल तक चावल आटे के घोल से आकर्षक अल्पनाएं बनाई जाएंगी।
इन अल्पनाओं में मां लक्ष्मी के पांव विशेष रूप से बनाए जाएंगे। शाम होते ही मां लक्ष्मी के सिंहासन को आम, आंवला और धान की बालियों से सजाया जाएगा और कलश की स्थापना कर मां लक्ष्मी की पूजा की जाएगी।
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इसके बाद गुरुवार सुबह ब्रह्म मुहूर्त से ही मां लक्ष्मी की भक्तिभाव के साथ पूजा-अर्चना की जाएगी। इसके बाद उन्हें विशेष प्रकार के पकवानों का भोग लगाया जाएगा।
ऐसी मान्यता है कि अगहन महीने के गुरुवारी पूजा में मां लक्ष्मी को प्रत्येक गुरुवार को अलग-अलग पकवानों का भोग लगाने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
गुरुवार को पूजा-अर्चना के बाद शाम होते ही प्रसाद खाने-खिलाने का दौर शुरू हो जाता है। इस अवसर पर आस-पड़ोस की महिलाओं, बहू-बेटियों को प्रसाद खाने के लिए विशेष रूप से निमंत्रण दिया जाता है।
बुधवार शाम से लेकर गुरुवार की शाम तक गुरुवारी पूजा की धूम रहेगी। पिछले साल की तरह इस वर्ष अगहन में चार गुरुवारी पूजा पड़ रही है, जो क्रमशः 17 नवंबर, 24 नवंबर और 1 व 8 दिसंबर को पड़ रही है।