पंचक्रोशी यात्रा की शुरुआत गुरुवार एकादशी से हो गई है। इस दौरान मुहूर्त से प्रारंभ की जाने वाली यात्रा का शुभ फल मिलता है। यात्रा की पूर्णता भी अष्टाविशंति (अष्ट तीर्थ) यात्रा के साथ करने का शास्त्रों में उल्लेख है।
तीर्थ पुरोहित पं. त्रिवेदी के अनुसार अष्टतीर्थ यात्रा अर्थात अष्टाविशंति (28) तीर्थ यात्रा है। इनका उल्लेख स्कंद पुराण के अवंति खंड में है और समस्त स्थानों पर शिव पूजा का महत्व है। पंचक्रोशी यात्रा का पुण्य अष्टाविशंति यात्रा के बाद ही प्राप्त होता है। अष्टतीर्थों में से कई विलुप्त भी हो गए हैं। इन 28 तीर्थों में निम्न तीर्थ शामिल हैं। जिनके दर्शन का पंचक्रोशी यात्रा में बहुत महत्व है।