वैशाख शुक्ल की नवमी को माता धरती की कोख से जानकीजी या सीताजी अवतरित हुई थीं। वैष्णव मत भी यही कहता है।
पुष्यान्वितायां तु कुजे नवम्यां श्रीमाधवे मासि सिते हलाग्रतः।
भुवोऽर्चयित्वा जनकेन कर्षणे सीताविरासीद् व्रतमत्र कुर्यात॥
जानकी नवमी पर क्या करें
इस दिन जानकीजी के नाम का व्रत रखना चाहिए।
विधि-विधान से जानकीजी का पूजन कर चाहिए।
माता जानकी का जन्मोत्सव मनाना चाहिए।
श्रीराम की स्तुति करना चाहिए।