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मदनोत्सव : प्रेम का शालीन पर्व

वेलेंटाइन डे का भारतीय रूप...

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पश्चिमी सभ्यता से ओतप्रोत वेलेन्टाइन डे का बेहतर एवं प्राचीन भारतीय विकल्प मदनोत्सव इस बार 16 अप्रैल को मनाया जाएगा। भारत समेत दुनिया भर में हर वर्ष चौदह फरवरी को वेलेन्टाइन डे रूप में मनाया जाता है, किन्तु बहुत कम लोगों को पता होगा कि भारतीय परंपरा में इसका शालीन एवं मर्यादित स्वरूप मदनोत्सव चैत्र शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को सदियों से मनाया जा रहा है।

अनंग त्रयोदशी नाम से विख्यात यह तिथि इस बार शनिवार को पड़ रही है। अंतर इतना है कि वेलेन्टाइन डे आज जहाँ उर्च्छृखलता का प्रतीक बनकर रह गया है, वहीं मदनोत्सव पति-पत्नी के आपसी मर्यादित प्रेम की अभिव्यक्ति एवं सुदृढ़ीकरण का शालीन पर्व है।

भारत में पिछले कुछ वर्षों से वेलेन्टाइन डे मनाने का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है। इसकी चकाचौंध में आज भारतीय समाज में मदनोत्सव विस्मृत-सा होकर रह गया है। मदनोत्सव पर पत्नी पति को अतीव सुंदर मदन यानी कामदेव का प्रतिरूप मानकर उसकी पूजा करती है। कामदेव का एक नाम अनंग भी है। इसीलिए इस तिथि को अनंग त्रयोदशी कहा जाता है।

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वेलेन्टाइन डे के विपरीत मदनोत्सव में विवाहेत्तर अथवा विवाहपूर्व संबंधों के लिए कोई स्थान नहीं है, बल्कि यह विशुद्घ रूप से दांपत्य संबंधों को मजबूत करने का पर्व होने के कारण नैतिक-सामाजिक दृष्टि से पूरी तरह स्वीकार्य है, जबकि वेलेन्टाइन डे ऐसी खामियों की वजह से भारतीय समाज में आज भी सर्व स्वीकार्य नहीं है।

श्रीमद भागवत महापुराण के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें पति रूप में चाहने वाली गोपियों के साथ इसी दिवस पर वृंदावन में महारास किया था। श्रीकृष्ण कामदेव से भी अधिक सुंदर होने के कारण मदन मोहन यानी कामदेव को भी मोहित करने वाले अथवा मन्मथ यानी सभी प्राणियों के मन को मथने वाले कामदेव के भी मन को मथने वाले कहे गए है।

गोपियाँ श्रीकृष्ण के प्रति पूर्णत समर्पित थी। अतः श्रीकृष्ण के लिए उनके साथ महारास करने का श्रेष्ठ अवसर मदनोत्सव के अतिरिक्त और क्या हो सकता था।

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