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स्कंद षष्ठी पर मल्हारी मार्तण्ड का पूजन

पूजन से आएगी सुख-समृद्धि

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26 नवंबर से मल्हारी मार्तण्ड का छः दिवसीय नवरात्र पर्व जारी है। यह अगहन सुदी पड़वा से छट तिथि तक चलेगा, जिसे स्कंद षष्ठी या चंपाषष्ठी महोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। इस नवरात्र को गुप्त नवरात्र के नाम से भी मनाते हैं। अधिकतर महाराष्ट्रीयन परिवारों में मनाया जाने वाले नवरात्र में शंकर-पार्वती को मल्हारी मार्तण्ड के रूप में पूजा जाता है। इन देवताओं का मूल स्थान पूना के समीप जेजुरी गांव है।

खंडोबा नवरात्र के उपलक्ष्य में 26 नवंबर से खंडोबा मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जा रही है। पं. जीएम हिंगे के अनुसार यह नवरात्र छः दिन की होती है। इसमें खण्डोबा की स्थापना करके पूजा की जाती है। अखंड दीपक लगाते हैं। वहीं फूलों की माला प्रतिदिन के हिसाब से एक-एक बढ़ती जाती है।

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भक्तों द्वारा मल्हारी खण्डोबा का महात्म्य का नित्य पाठ किया जाता है। इसी दिन देव दीपावली मनाई जाती है। भगवान को स्नान, पूजा, नए वस्त्र पहनाए जाते हैं। इस नवरात्र का समापन स्कंद षष्ठी के दिन होता है।

इस दिन भगवान को ज्वार की रोटी और भटे का भरता का भोग लगाते हैं। विशेष कार्य की सिद्धि के लिए गुप्त नवरात्र में पूजा-अर्चना विशेष फलदायी होती है। इस नवरात्र में साधक तंत्र साधना भी करते हैं। इसमें विशेषकर पिसी हल्दी का उपयोग करते हैं। इस नवरात्र में मांस, शराब, प्याज, लहसुन का त्याग करना चाहिए और ब्रह्मचार्य का संयम रखना आवश्यक होता है।

सन् 1710 में मराठों का उज्जैन में पदार्पण हुआ। सिंधिया राजवंश की बायजाबाई सिंधिया द्वारा नगर में बाबा महाकाल, काल भैरव तथा मल्हार मार्तंड की सवारी निकाले जाने का क्रम आरंभ किया था। परंपरानुसार आज भी तीनों सवारियां निकलती हैं।

पहले इन सवारियों का व्यय शासन द्वारा वहन किया जाता था, लेकिन अब मल्हार मार्तंड की सवारी महाराष्ट्रीयन परिवारों द्वारा निकाली जाती है। बुधवार को बाबा मल्हार मार्तंड की शाही सवारी निकाली जाएगी।

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