Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

राम जेठमलानी : प्रोफाइल

हमें फॉलो करें राम जेठमलानी : प्रोफाइल
मशहूर वकील और राजनेता राम जेठमलानी का 8 सितंबर 2019 को निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार थे। दिल्ली में अपने घर पर उन्होंने अंतिम सांस ली। उन्होंने कई मशहूर और विवादित केस लड़े थे। इसमें इंदिरा गांधी हत्याकांड के हत्यारों का केस, डॉन हाजी मस्तान और हर्षद मेहता जैसे केस हैं। राम जेठमलानी वर्तमान में  आरजेडी से राज्यसभा सांसद थे।

प्रारंभिक जीवन : राम जेठमलानी का जन्‍म 14 सितंबर 1923 को वर्तमान पाक अधिकृत पंजाब के सिंध प्रांत के शिखरपुर में हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा लाहौर से शुरू हुई।
 
पारिवारिक पृष्‍ठभूमि : राम जेठमलानी ने 18 वर्ष की आयु में ही दुर्गा से भारतीय रीति-रिवाज से विवाह कर लिया। 1947 में भारत के आजाद होने से पहले उन्‍होंने रत्ना शाहनी से दूसरी
शादी कर ली।
 
उस समय का भारतीय हिन्‍दू समाज दो शादियां करने की छूट देता था। जेठमलानी को दोनों पत्नियों से तीन पुत्री और एक पुत्र हैं, जिसमें से दुर्गा से दो पुत्री, एक पुत्र तथा रत्ना से एक पुत्री है। 
 
करियर : जेठमलानी बचपन से ही प्रखर बुद्धि के थे जिसके कारण उन्होंने 2री, 3री तथा 4थी कक्षा को एक ही साल में पूरा कर लिया। उन्‍होंने मैट्रिक (अब 10वीं की कक्षा) 13 साल की उम्र में पूरी कर ली तथा एलएलबी की डिग्री 17 वर्ष की आयु में ही प्राप्त कर ली जिसके लिए कम से कम 21 वर्ष आयु निर्धारित है।
 
उस समय की सरकार ने उनकी प्रखर बुद्धि को देखते हुए कम उम्र में ही एलएलबी डिग्री देने का आदेश दिया था। वे 21 साल की उम्र में ही वकील बन गए, मगर उनके लिए दिए गए विशेष आदेश में वे 18 वर्ष की आयु में वकील बन सकते थे। उन्‍होंने एससी शाहनी लॉ कॉलेज, कराची से एलएलएम की उपाधि की। 
 
राम जेठमलानी ने अपने करियर की शुरुआत पकिस्‍तान में लॉ के प्रोफेसर के रूप में की। फरवरी 1948 में कराची में भड़के दंगे के कारण वे भारत भाग आए, मगर अपने दोस्‍त एके ब्रोही की सलाह पर वे पाकिस्‍तान वापस जाकर कानून मंत्री बने।
 
1959 में जेठमलानी केएम नानावती और महाराष्‍ट्र सरकार के केस को लेकर मशहूर हुए जिसमें उन्‍होंने उस समय के मशहूर वकील यशवंत विष्‍णु चंद्रचूड़ के खिलाफ केस लड़ा। इसके बाद वे भारत के मुख्‍य न्‍यायाधीश बने। 
 
1960 के अंत में तस्‍करों पर हुए स्टिंग ऑपरेशन के बाद जेठमलानी की छवि उन्‍हें बचाने को लेकर खराब हुई। इसके बाद उन्‍होंने बताया कि वे तो सिर्फ एक वकील का कार्य कर रहे थे, न की जज का। 1953 में वे मुंबई शासकीय कानून महाविद्यालय में अंशकालीन प्रोफेसर बन गए। 
 
उन्‍होंने मिशिगन में डेट्रॉयट के वायने स्‍टेट विश्‍वविद्यालय में अंतरराष्‍ट्रीय लॉ विषय से कॉपरेटिव लॉ पढ़ाया। इसके साथ ही वे भारतीय बार काउंसिल के दो बार (आपातकाल से पहले और बाद में) चेयरमैन बने। 1996 में वे अंतरराष्‍ट्रीय बार एसोसिएशन के सदस्‍य बने।
 
आपातकाल (1975-77) के समय वे भारतीय बार एसोसिएशन के चेयरमैन थे। उन्‍होंने उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जमकर खिंचाई की थी जिसके कारण केरल से उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हो गया, मगर नानी पालखीवाला के नेतृत्‍व में 300 से ज्‍यादा वकीलों ने मिलकर मुंबई उच्‍च न्‍यायालय से वारंट के खिलाफ स्‍टे-ऑर्डर ले लिया।
 
उनका स्‍टे-ऑर्डर प्रसिद्ध बंदी प्रत्यक्षीकरण निर्णय (जबलपुर के अतिरिक्‍त जिला मजिस्‍ट्रेट व शिवकांत शुक्‍ला) के बाद निरस्‍त हो गया जिसके बाद कनाडा में आपातकाल का विरोध कर रहे जेठमलानी ने पुलिस के सामने आत्‍मसमर्पण कर दिया।  
 
जेठमलानी कई हाई-प्रोफाइल केसों के कारण हमेशा चर्चा में रहे। उन्होंने आसाराम को यौन उत्‍पीड़न से बचाने, 2011 में राजीव गांधी के हत्‍यारे, इंदिरा गांधी के हत्‍यारे, हर्षद मेहता और केतन पारेख का स्‍टॉक मार्केट घोटाला, हाजी मस्‍तान, अफलज गुरु की फांसी के खिलाफ, लालकृष्‍ण आडवाणी का हवाला घोटाला, जेसिका लाल हत्‍याकांड में मनु शर्मा का केस, अमित शाह, कनिमोझी, वाईएस जगमोहन रेड्डी, येदियुरप्‍पा, रामदेव तथा शिवसेना का केस लड़ा और उनका बचाव किया। 
 
राम जेठमलानी का कहना है कि वे हमेशा से ही एक वकील की भूमिका निभा रहे हैं। हर व्‍यक्ति को अपना बचाव करने का हक है। अगर कोई वकील इस सोच के साथ किसी व्‍यक्ति का केस नहीं लड़े कि वह देश का अपराधी है तो वह अपने पेशे को बदनाम कर रहा है, क्‍योंकि एक वकील का कार्य होता है व्‍यक्ति के हित के लिए लड़ना, चाहे उसमें उसे जीत मिले या हार।
 
राजनीतिक जीवन : राम जेठमलानी ने 1971 में एक निर्दलीय उम्‍मीदवार के रूप में उल्‍हास नगर से चुनाव लड़ा जिन्‍हें भाजपा और शिवसेना का समर्थन प्राप्‍त था, मगर वे चुनाव हार गए। भारत के सबसे बड़े वकील तथा भाजपा के पूर्व सदस्‍य राम जेठमलानी विवादों में भी रहे हैं। 
 
आपातकाल के 10 महीने बाद कनाडा में रहते हुए वे बॉम्बे नार्थ-वेस्‍ट संसदीय सीट से चुनाव जीत गए, मगर 1985 में कांग्रेस के प्रत्‍याशी सुनील दत्‍त से हार गए। 1988 में जेठमलानी राज्‍यसभा के सदस्‍य बने।
 
1996 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वे कानून, न्‍याय और कंपनी कार्य राज्‍यमंत्री बने। 1998 में अटल बिहारी सरकार के दूसरे कार्यकाल में जेठमलानी शहरी कार्य तथा रोजगार के कैबिनेट मंत्री बने हालांकि इसके कुछ दिनों बाद ही वे फिर से कानून, न्‍याय और कंपनी कार्यमंत्री बने।
 
उस समय अटल बिहारी ने उन्‍हें भारत के मुख्‍य न्‍यायाधीश आदर्श सेन आनंद तथा भारत के अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी से मतभेद ज्‍यादा होने के कारण जेठमलानी से इस्‍तीफा मांग लिया। इसके बाद वे गृहमंत्री लालकृष्‍ण आडवाणी के मंत्रालय से जुड़ गए। 
 
2004 में उन्होंने लखनऊ संसदीय सीट से अटल बिहारी वाजयेपी के खिलाफ चुनाव लड़ा, मगर वे हार गए। इसके बार भाजपा ने 2010 में राजस्‍थान से जेठमलानी को राज्‍यसभा के लिए टिकट दिया, जहां से वे जीत गए। बाद में वे परसोनल, पब्लिक ग्रिभिनेंस, लॉ एंड जस्टिस कमेटी के सदस्‍य बने।
 
2010 में जेठमलानी ने चीनी उच्‍चायोग के सामने चीन की खिंचाई करते हुए उसे भारत और पाकिस्‍तान के बीच मतभेद को बढ़ाने के लिए जिम्‍मेदार बताया। मई 2013 में भाजपा ने उन्‍हें पार्टी के खिलाफ जाकर बयान देने के कारण 6 सालों के लिए पार्टी से निकाल दिया।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

अमेरिकी सांसदों की पाकिस्तान को चेतावनी, भारत के खिलाफ बदले की कार्रवाई से बचें