Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(द्वितीया तिथि)
  • तिथि- मार्गशीर्ष कृष्ण द्वितीया
  • शुभ समय-9:11 से 12:21, 1:56 से 3:32
  • व्रत/मुहूर्त-सौर मार्गशीर्ष प्रा., रोहिणी व्रत
  • राहुकाल- सायं 4:30 से 6:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

नवरोज : मौसम के उल्लास का पर्व

पारसी नववर्ष पर विशेष

हमें फॉलो करें नवरोज : मौसम के उल्लास का पर्व

भाषा

ND

विभिन्न पर्वों, उत्सवों और मेलों के देश भारत में पारसी समुदाय के लिए नववर्ष ‘नवरोज’ आस्था और उत्साह का संगम होता है जिस दिन वे न सिर्फ अपने घरों को सजाते और नए कपड़े पहनते हैं बल्कि धार्मिक कर्तव्य का भी निर्वाह करते हैं। नवरोज एक ऐसा पर्व है जिसका पारसी समुदाय साल भर इंतजार करते हैं क्योंकि इस दिन परिवार के सब लोग एकत्र होकर पूरे उत्साह के साथ इस त्योहार को मनाते हैं।

पारसी समुदाय के विभिन्न संगठनों से जुड़े ए. वसईगर ने कहा कि पारसी लोग अपना मूल फारस देश और अग्निपूजक जरथ्रुष्ट धर्म से मानते हैं। उन्होंने बताया कि इस दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं। सुबह जल्दी उठकर, दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर नए कपड़े पहनते हैं। फिर घरों में अगरबत्ती जलाकर वातावरण को शुद्ध किया जाता है। नवरोज के अवसर पर कुछ लोग गरीबों को भोजन कराते हैं।

पारसी परंपरा के अनुसार इस दिन लोग मेज पर कुछ पवित्र वस्तुएँ रखते हैं। इनमें जरथ्रुष्ट की तस्वीर, मोमबत्ती, दर्पण, अगरबत्ती, फल, फूल, चीनी, सिक्के आदि शामिल हैं। माना जाता है कि इससे परिवार के लोगों की आयु और समृद्धि बढ़ती है। नवरोज के दिन पारसी परिवार अपने उपासना स्थलों पर जाते हैं। इस दिन उपासना स्थलों में पुजारी धन्यवाद देने वाली प्रार्थना करते हैं जिसे 'जश्न' कहा जाता है। इस दिन पवित्र अग्नि को लोग चंदन की लकड़िया चढ़ाते हैं। प्रार्थना के बाद पारसी लोग एक-दूसरे को साल मुबारक कहते हैं।
विभिन्न पर्वों, उत्सवों और मेलों के देश भारत में पारसी समुदाय के लिए नववर्ष ‘नवरोज’ आस्था और उत्साह का संगम होता है जिस दिन वे न सिर्फ अपने घरों को सजाते और नए कपड़े पहनते हैं बल्कि धार्मिक कर्तव्य का भी निर्वाह करते हैं।
webdunia


वसईगर ने बताया कि पारसी लोग नवरोज फारस के राजा जमशेद की याद में मनाते हैं जिन्होंने पारसी कैलेंडर की स्थापना की थी। पारसी लोग मानते हैं कि इस दिन पूरी कायनात बनाई गई थी। पारसी लोग नववर्ष के दिन विशेष पकवान बनाते हैं। इनमें मीठा रवा, सिवई, पुलाव, मछली तथा अन्य व्यंजन बनाए जाते हैं। इस दिन घर आने वाले मेहमानों का स्वागत गुलाब जल छिड़ककर किया जाता था।

भारत में पारसी समुदाय आबादी के लिहाज से बेहद छोटा समुदाय हैं लेकिन यह नवरोज जैसे अपने त्योहारों के माध्यम से अपनी परंपराओं को आज भी जीवित रखे हुए हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi